सच्चाई
सच्चाई
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सुख कहा हैं
ये तो पता खुद को
खुशहाल देखकर
लगाया जा सकता हैं,
ठोकर खाने वाला
गिरता तो हैं
पर ठोकरें देखकर
वह उठ भी सकता हैं,
दोस्त तो केवल
दिखावे के होते हैं
वह तो वक्त पर
बदल भी सकता है।