बारिश
बारिश
ये बारिश जब भी आती है
कभी मुझको हँसाती है
कभी मुझको रूलाती है
मुझे कैसे तरसाती है
तुम्हे कैसे बताऊ में
तुम्हे क्या-क्या समझाऊ में
जो आँखे तेरी बरसाए
वो तेरे प्यार की बारिश
मेरा तन मन भिगाती है
नये रंग मे सजाती है
है रंग वो कौन सा आख़िर
जो चढ़ता प्यार में तेरे
तुम्हे कैसे बताऊ में
तुम्हे क्या-क्या समझाऊ में
जो आए वस्ल की कोई शाम
तेरी बाते तू बरसाए
जैसे बरखा बहारों से
कली मन की ये हर्षाए
वो बातों की तेरी बारिश
करे क्या-क्या असर मुझपर
तुम्हे कैसे बताऊ मैं
तुम्हे क्या-क्या समझाऊ मैं
जो आए हिज़्र की कोई शाम
तेरी यादें बरसती है
तेरी यादों की बारिश में
मेरी आँखे बरसती है
ये आँखो की मेरी बारिश
तब कैसे रोक पाऊ मैं
तुम्हे कैसे बताऊ मैं
तुम्हे क्या-क्या समझाऊ मैं
जब अब तुम आओगे हमदम
तब बारिश ऐसी कर जाना
मिलन की वो घड़ी निकले
हिज़्र जिसको मैंने माना
मेरे नज़दीक की हर शय में
तेरा अहसास पाऊ मैं
तुम्हे कैसे बताऊ मैं
तुम्हे क्या-क्या समझाऊ मैं