STORYMIRROR

Sakhi Singh

Others

4  

Sakhi Singh

Others

खोया बचपन

खोया बचपन

1 min
40.3K


खोया बचपन

पीछे छोड़ दिया है सब कुछ ... 
खिलौने, शरारतें, खेलना,
कूदते फिरना, ज़िद करना 
वो भूल चुकी है बचपन .
उसे निभाना है किरदार 
माँ का .हाँ सही समझा माँ का
अपने ही छोटे भाई बहनों की .
उसे फ़िक्र करनी है 
इस कच्ची उम्र से ही 
अपने भाई बहन की भूख की
फ़िक्र करनी है उनकी देखभाल की .
क्योंकि, माँ तो कर रही है फ़िक्र 
उनके लिऐ  दो जून की रोटी की  
माँ जब घर से बाहर जाती है 
तब घर की ज़िम्मेदारी इन नन्हें  
कंधों पर आ जाती है ..और फिर
शुरू होता है पलायन एक 
बचपन का और अचानक सामने
आ खड़ा होता है एक ज़िम्मेदार 
फिक्र से बना चेहरा उसका
जो दिखने में भले ही हों छोटा
पर निभा राह है बड़ी से बड़ी 
ज़िम्मेदारियाँ  ..जो वक़्त से पहले 
ही मिल गई हैं  उसे ..और वो 
बन गईं है अब अपने ही छोटे 
भाई बहनों एक ज़िम्मेदार माँ. 
फिर कैसे दूँ भला में अब किसी को 
बाल दिवस की शुभकामनाऐं  .

 

 

 


Rate this content
Log in