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किसान है

किसान है

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किसान है
इसलिये नहीं
उसकी कोई
पहचान है
मज़दूर से भी
ज़्यादा मेहनत
मज़दूरी करता है
किसान जब खेत में
मज़दूर लगाता है
उसके कन्धे से कन्धा
मिलाकर काम करता है
स्वयं मज़दूर बनता है
चाहे जितनी ठंड गर्मी
बरसात हो नियमित
खेतों में काम करता है
कितनी भी बरसात
क्यो न पड़ती हो
घुटनो से ज़्यादा खेत
में भरे पानी में रहता है
धान की फसल का
मज़दूरो के साथ
रोपा लगाता है
कीचड़ में सना होता है
तन पर लगोटी लगाता है
तभी तो धान की फसल
को तैयार कर पाता है
यही तो मेहनती
किसान होता है
इतनी मेहनत करने
से धान की फसल
निकलती है
उसी धान से
चावल बनता है
जो हर घर में
खाने को मिलता है।
और पेट सभी का भरता है
अमीर-गरीब कोई भी हो
सभी तो चावल खाते हैं
रोटी दाल साथ में हो
तभी तो भूख मिटाते हैं।


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