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Deep Panchal

Abstract Comedy Inspirational

4.4  

Deep Panchal

Abstract Comedy Inspirational

अविष्कार

अविष्कार

1 min
332


हम ने ऐसा खेल है खेला

भेजे का है खोला थैला

तरकीबों का लगाया मेला

जिसमे ये अविष्कार था पहला


पहले रहते थे सब प्यार में

फिर कोई बोला तू मेरे बाद में

इनकी इस तू तू में में

हथियार आ गये सब के हाथ में


जिनके पीठ पे फिरते थे बैठ कर

खिंचवाते है बोझा हम पीट कर

पहियें का दूजा हुआ अविष्कार

उनको रास्ते मे भूलकर

खरीदी ब्रांडेड कार


तीजा कैसा आविष्कार ये आया

जिसको न कोई देख पाया

इसकी चपेट में हर कोई आया

लालच ने घर मन में बसाया


अभी देखा नहीं था पूरा संसार

उजड़ गया पक्षिओं का घर बार

आया उड़ने का हम को विचार

हवाई जहाज का हुआ अविष्कार


ससुराल में घर की अति जब याद

मुश्किल थी करनी उनसे बात

इसलिए फ़ोन किया ईजाद

लेकिन अब .... फ़ोन किया ना,

कभी मिलेंगे बाद


खेलते थे संग मित्रों के बाहर

तन मे स्फूर्ति थी हर बार

संगणक का हुआ अविष्कार

बस गए खेल घर की दीवारों मे चार


फिल्मों का पड़ा कैसा प्रभाव

हनुमान के बदले सुपरमैन वाओ

इंटरनेट ने बाकी पूरा किया आभाव

माँ बाप सोचे..... बच्चों को घर से

निकलू हाओ?


प्लास्टिक की जिसने खोज

डालूंगा उसका भेजा नोंच

इससे बढ़ रहा कचरे का बोझ

पैदा होती नयी बीमारी हर रोज


श्रम जीवन से हो गया कम

ए.सी में व्यायाम करते हम

खाना खाते दबाके हम

पैंट चढ़ाने में लगता दम


जब भी आई जीवन में दुविधा

खोजी हमने अनेक सुविधा

रास्ता है विनाश का यह सीधा

ज्ञानी होकर अज्ञान मे क्यों जीता?


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