मौसम सावन का।
मौसम सावन का।
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आज हमारे मन को भाया खूब नजारा गुलशन का,
बोझ पड़ा था सर पर भारी दूर हुआ सब उलझन का।धीरे धीरे आँख नशीली दिल बेक़ाबू करती रही,
नज़र- नज़र में भरती रही है रँग नया सा चितवन का।
आस लगाये जीने वाले शाम ढले बहे जाते हैं ,
खिंच के लाते रँग हरे ये मोह जगाते उपवन का।
ऋतू का खीलना उनका मिलना बहके मन पर वार करे,
खुद को बचाना मुश्किल करता ऐसा जलवा जोबन का।
वो तो कथायें करते फिरते बिगड़े मन सही राह चले,
सीधे सादे बनके निकले रुप धरा है जोगन का।
प्यासे मन की प्यास जगी हे जलते बुझते मासूम मन,
आस लगाये भीग रहे हैं बरसे मौसम सावन का।