दिल की आवाज
दिल की आवाज
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लहरें तो किनारे पे आती है
मध्य में नहीं सहज भाव की दरिया में तैरो आनन्द वहीं ।।
आँसुओं को संभलना प्रीतम् के लिए
दूसरों के लिए नहीं आँसू पोछने वाला बस वही तो है दुसरा न है कोई ।।
आँसुओं के मोतियाँ तो उसे पसन्द है
पैसों के लड्डु नहीं सच्चे प्रेमियों तो बस उसे ढूंढते हैं किसी गुड्डू को नहीं ।।