न हों
न हों
ये तन भले ही बीमार हो पर मन न हो
लड़ाई में हार हो पर दिल कायर न हो,
ये दिल हमारा टूटे या फिर बहुत फूटे
पर हमारा ये दिल कभी लाचार न हो,
गिरे हम एक नहीं हज़ारों बार साकी
पर कभी इसका हौसला तारतार न हो,
ये तन भले ही बीमार हो पर मन न हो,
रात के बार जैसे भोर होती है
हार के बाद जैसे जीत होती है,
वैसे ही हमारे मन का संगीत हो
सफ़लता चाहे मुझे न मिले
असफलता भले गले मिले,
पर क़भी मेरा कर्म उत्साह कम न हो
उड़ान मेरी भले ही ऊँचे आसमाँ की न हो,
पर मन में किसी को गिराने का ख्याल न हो
ये तन भले ही बीमार हो पर मन न हो!