समय
समय
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अभी वक्त है यार
फिर कर लेंगे प्यार
पहले निपटा लें
काम दो-चार
घर-संसार के
बहुत हुआ,
चलो बैठें बेंच पर
पार्क के
ओह, समय के रथ में
जूते ज्यों पहिए
कोर्णाक के
आओ, जरा बाँचे
पन्ने अख़बार के
देखो, ये गाँव-शहर हुए
ज्यों जंगल
खर-पतवार के
चलो घर के अंदर
बाहर बहुत झमेले हैं
बेकार के
अरे, बच्चे कब लौटेंगे
बीत गए बरस बहुत
इंतजार के...