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हल्ला

हल्ला

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धर्म का हल्ला बहुत है,
धर्म कहीं नहीं है।

सेकुलरिज़्म का हल्ला बहुत है,
सेकुलरिज़्म कहीं नहीं है।

समाजवाद का हल्ला बहुत है,
समाजवाद कहीं नहीं है।

आम आदमी की चर्चा बहुत है,
उनकी चिन्ता में आम आदमी
कहीं नहीं है।


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