किया प्रेम
किया प्रेम
किया प्रेम
किया प्रेम
किंतु क्या कि किया प्रेम ?
जब भी जाऊंगा छूट कर प्रेम से मृत्यु की तरफ़
थोड़ी गिलास में थोड़ी बोतल में छोड़ जाऊंगा शराब
ये कहता हुआ और याद रखता हुआ कि कुछ किया
कि जितनी पी शराब, उससे कहीं ज़्यादा-ज़्यादा
किया प्रेम
नाश प्रेम, शराब नहीं, कि कुछ किया
नाश फिर-फिर ज़रूरी है ज़रूरी है जीवन में कि कुछ किया
किंतु कहूंगा जब भी तो कहूंगा प्रेम फिर-फिर कि कुछ किया
किया प्रेम
नदी, झरना, पहाड़, प्रेम, बहता हुआ कि कुछ किया
कहता हुआ बहुत-बहुत, बहुत कुछ दुःख भरा हुआ
संगीनों के साये में जीता हुआ पीता हुआ शराब
कि डूब जाऊंगा तो पार हो जाऊंगा कहता हुआ
किया प्रेम