दोहे
दोहे
1 min
6.6K
नीतिनिपुण बन कुशल जगत ब्यवहार,
सबहिं सुजनबन्यो नीति रीति आधार।
नीति-रीति से चलन पर मिले जहां सम्मान,
धन-धान्य ब्यापतगृहे खुशहाली दिनमान।
गुरूवर हमको ज्ञान दो, सदा करो मनुहार,
ज्ञान बुद्धि से जगत में करो मम् उद्धार।
आशीर्वाद जो आपका, जीवन वृथा न जाय,
नीति नियम अवलम्ब बने,सर्व सुखद आयाम।