बचपन ....
बचपन ....
आज तो मज़ा आ रहा है दोस्तों
इस नदिया में नहाने का
आज तो मज़ा आ रहा है दोस्तों
मस्ती में खिलखिलाने का।
चलो एक खेल खेलें
पहले मैं उड़ाऊँ फिर तुम उड़ाओ
पानी से एसे ही खेलते जाओ।
ये रंग
ये पानी ये मौसम
और हमारा संग
चंद वर्षों का मेहमान है।
ये यादें क़ैदी बना लो
मैं बनाऊँ तुम भी बनाओ
एसे ही यादों का सोनिया
पिटारा भरते जाओ ….
पहले मैं उड़ाऊँ फिर तुम उड़ाओ
पानी में अठखेलियाँ करते जाओ
ज़िंदगी एसे ही मदमस्त जीते जाओ
थोड़ा मैं हँसू थोड़ा तुम खिलखिलाओ
बस एसे ही यादों के कटोरे भरते जाओ
बस एसे ही ख़ुशियों से दामन भरते जाओ।