पिता
पिता
त्याग, बलिदान का मूर्त है पिता,
बच्चों का मान-सम्मान है पिता,
जीवन की दुपहरी की छाँव है पिता,
बच्चों के दिल का लगाव है पिता।
समय-सा निरन्तर चलता है पिता,
चेहरे की झुर्रियों से बूढ़ा है पिता,
तकलीफों को अपने भूला है पिता,
बच्चों के जीवन का आधार है पिता।।
बचपन में जिसने चलना सिखाया,
कदम-कदम पे यूँ हौसला बढ़ाया,
छोटी-छोटी ग़लतियों पे डांटा-डपकाया,
सांस्कृतिक मूल्यों की कदर समझाया।
जीवन में हमें ऊंचाइयों पर पहुँचाया,
उसने अपना बख़ूबी कर्तव्य निभाया,
ईश्वर ने उसे अपना दूजा रूप बनाया,
पिता को जीवन का आधार बताया।।
स्वप्नों में रंग, कल्पना को उड़ान मिले,
उसके नाम से ही हमें पहचान मिले,
घर, परिवार, नाते-रिश्तेदार, मान मिले,
छोटी-छोटी खुशियों को स्थान मिले।
आँगन में बाबुल के हम खिले बढ़े,
रोता हुआ ही बाबुल विदा भी करे,
सबकी ख्वाहिशों को भी वो पूरा करे,
वो बच्चों की खातिर सुपर हीरो बने।
पिता जी बच्चों से कितना प्रेम करे,
पिता हमारे जीवन का आधार बने।।