गुबरैली ज़ुबान
गुबरैली ज़ुबान
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सिलता कैसे दुःख अपने
सुई-धागा तो वही शख्स ले भागा था
जिसके हाथों में चाबुक जैसा कुछ था
और जिसने मेरी आँखों में रोप दी थी
अपनी गुबरैली ज़ुबान भी ?