जिस घड़ी ये ज़र ज़मीं से आशना हो जायेगा ।
जिस घड़ी ये ज़र ज़मीं से आशना हो जायेगा ।
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जिस घड़ी ये ज़र ज़मीं से आशना हो जायेगा
देखना तू ये उसी दिन बे वफ़ा हो जायेगा
आज बैठा है तुम्हारी गोद में लेकिन मियाँ
देखते ही देखते ये और का हो जायेगा
देखता है ख़्वाब महलों के सुनहरे रात दिन
आदमी ये एक फिर दूसरा हो जायेगा
आ गए हैं हम मुक़ाबिल आज जो सरकार के
कल सबेरे तक हमारा फ़ैसला हो जायेगा
हाथ जोड़े जो खड़ा है ,देखना तुम कल इसे
कौड़ियों में बिकने वाला लाख का हो जायेगा ।