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काव्य चकोर

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काव्य चकोर

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अवघाची देह

अवघाची देह

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अवघाची देह

दत्तमय व्हावा..

त्रिगुण त्रिमुर्ती

अंतरी वसावा..!!


घेवुनी जन्मले

ममतेचे सूत्र..

ब्रह्मा, विष्णु, शिव

अनुसूया पुत्र..!!


वैराग्याची मूर्ति

दिव्य देह धारी..

त्रिशूल डमरू

झोळी खांद्यावरी..!!


पुढे श्वान शोभे

मागे धेनु न्यारी..

पाषाणी बैसले

गुरु ध्यानधारी..!!


रुद्राक्षाच्या माळा

शोभे दिव्य गळा

करुणा सागर

देव भक्त भोळा..!!


ऐसे गुरु देव

दत्त दिगंबर..

कृपेची सावली

व्यापून अंबर..!!


विभूती अंगारा

तुमचा प्रसाद..

स्विकारतो देवा

द्यावा आशीर्वाद..!!


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