अभंग रचना:-रक्षाबंधन
अभंग रचना:-रक्षाबंधन
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भाऊ बहिणीच्या | प्रेमाचे प्रतिक
नाते अगतिक। राखीचेच।।१।।
भाव रक्षासूत्र। बंध रेशमाचे
अतुट नात्याचे। भावासाठी।।२।।
रूसवे-फुगवे। कधी लाडी-गोडी
कधी थट्टा थोडी। चाले सदा।।३।।
जीव तळमळे।एकमेकांसाठी
उभा सदा पाठी। भाऊराया।।४।।
आभाळाची माया। सावली बहीण
ममतेची विणं।सदा जगी।।५।।
असेना दुरावा। न मानी बंधन
मायेचे अंगण। भिजवूनी।।६।।
मनगटी राखी। भावाच्या शोभली
सुखात नाहली। प्रेमभावे।।७।।
शब्दांची ओंजळ। बहीण-भावास
मायेचा सुवास। दरवळे।।८।।
अमोलिक नाते। तुटू नये कधी
अहंकार व्याधी। कदापिही।।९।।
