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Deepali Mathane

Others

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Deepali Mathane

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अभंग रचना:-रक्षाबंधन

अभंग रचना:-रक्षाबंधन

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भाऊ बहिणीच्या | प्रेमाचे प्रतिक

नाते अगतिक। राखीचेच।।१।।


भाव रक्षासूत्र। बंध रेशमाचे

अतुट नात्याचे। भावासाठी।।२।।


रूसवे-फुगवे। कधी लाडी-गोडी

कधी थट्टा थोडी। चाले सदा।।३।।


जीव तळमळे।एकमेकांसाठी

उभा सदा पाठी। भाऊराया।।४।।


आभाळाची माया। सावली बहीण

ममतेची विणं।सदा जगी।।५।।


असेना दुरावा। न मानी बंधन

मायेचे अंगण। भिजवूनी।।६।।


मनगटी राखी। भावाच्या शोभली

सुखात नाहली। प्रेमभावे।।७।।


शब्दांची ओंजळ। बहीण-भावास

मायेचा सुवास। दरवळे।।८।।


अमोलिक नाते। तुटू नये कधी

अहंकार व्याधी। कदापिही।।९।।


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