अभंग(गगनगिरी)
अभंग(गगनगिरी)
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अनंत देवता।गुरू सप्तशती।
सर्व सुख प्राप्ती।महामेरु।।१।।
अथांग सागरी।श्री गगनगिरी।
महिमा विस्तारी।सदायोगी।।२।।
गुप्त जे रहस्य।सागे गुरु ज्ञान।
दत्त भगवान।अवतार।।३।।
ह्दयी निरंतर।भक्तीचा सागर।
स्वये श्री शंकर।पुसतसे।।४।।
यज्ञ,दान,तप।साधन ते पूर्ण।
मोक्ष परिपूर्ण।सर्वाधार।।४।।
मूर्ती ती साकार।अमृत वचन।
शांती समाधान।लोकोध्दार।।५।।
दश महाविद्या।कल्पतरूस्तथा।
त्रिकाल तू नाथा।महागुरू।।६।।
ध्यान मग्न शांत।तपस्या अपारी।
राहे गर्भगिरी।उध्दाराया।।७।।