अभंग:-गाव माझा
अभंग:-गाव माझा
गावकरी माझा। भजनात दंग
सावळे श्रीरंग। रूप हासे।।१।।
गोमाय अंगणी। घरोघरी दिसे
श्रध्दाभाव वसे। तिच्या ठायी।।२।।
शेणाच्या सड्याने। अंगण सजले
रंगात भिजले। रांगोळीच्या।।३।।
दही-दूध-लोणी।सुख-समृद्धीची
वार्ता सन्नीतीची। गावोगावी।।४।।
आजी-आबासवे। राबती शेतात
वसा दिन-रात। घेतलासे।।५।।
घरकुल हासे। एकत्र नांदून
थोरांसी वंदून। घरी-दारी।।६।।
दुःखाचे आहेर। वाटूनीया घेती
धावूनीया येती। संकटात।।७।।
पिंपळाच्या पारी।भरे पंचायत
आजता-गायत। हीच प्रथा।।८।।
ज्ञानज्योत लावी। शिक्षणाची कास
अभ्यासाचा ध्यास। बालकांसी।।९।।
धरण तुडुंब। पाणी अडवूनी
शेतीत सोडूनी। मळा पीके।।१०।।
गावाकडे चला। थोर लोक सांगे
फेडू चला पांगे। गावाचीया।।११।।
