हमेशा इसी समझदारी से अपने अधिकारों के लिये जागरूक रहना... तुम सावित्री मत होना। हमेशा इसी समझदारी से अपने अधिकारों के लिये जागरूक रहना... तुम सावित्री मत होना।
नन्दू भी बोला,कोई बात नही यार,बिना शूल के फूल भी अधूरा है। नन्दू भी बोला,कोई बात नही यार,बिना शूल के फूल भी अधूरा है।
शिक्षक नहीं आज के प्रतिकूल काल के अनुरूप योद्धा जो समझता हूँ। शिक्षक नहीं आज के प्रतिकूल काल के अनुरूप योद्धा जो समझता हूँ।
आँखोंं में शूल की तरह चुुभते थे,आज वे उनके निगाहों में सम्मान के पात्र थे। आँखोंं में शूल की तरह चुुभते थे,आज वे उनके निगाहों में सम्मान के पात्र थे।