विपिन की नौकरी से घर वालों को बहुत आशा थी। विपिन की नौकरी से घर वालों को बहुत आशा थी।
उस बरसात की रात का अनजाना बलिष्ठ बाँहों का घेरा आज जीवन भर के गले का हार बन चुका था। उस बरसात की रात का अनजाना बलिष्ठ बाँहों का घेरा आज जीवन भर के गले का हार बन चुका...
“क्या फाँसी ही एकमात्र हल था। इतनी क़ीमती ज़िन्दगी का ?” “क्या फाँसी ही एकमात्र हल था। इतनी क़ीमती ज़िन्दगी का ?”
घर पर ही रहकर मैं सुकून से वैकुंठ धाम जाऊँगा। ” घर पर ही रहकर मैं सुकून से वैकुंठ धाम जाऊँगा। ”