किसान खून-पसीना बहाकर सबका पेट भरते हैं। खुद अक्सर भूखे सो जाते हैं। किसान खून-पसीना बहाकर सबका पेट भरते हैं। खुद अक्सर भूखे सो जाते हैं।
जब दुःख का कारण अपने प्रिय जन ही हो जाते हैं, तो फिर उसका क्या उपाय है ? जब दुःख का कारण अपने प्रिय जन ही हो जाते हैं, तो फिर उसका क्या उपाय है ?
जिसमें शाह साहब ने बहुत ही सजीव चित्रण अपने बैतों के माध्यम से किया है। जिसमें शाह साहब ने बहुत ही सजीव चित्रण अपने बैतों के माध्यम से किया है।
नहीं तो और मुसीबत हो जाता। मुझे लगता था छठी, सातवीं कक्षा में पढ़ा कविता "निर्जन द्वीप नहीं तो और मुसीबत हो जाता। मुझे लगता था छठी, सातवीं कक्षा में पढ़ा कविता "निर्जन...