प्रिय डायरी हम मनुष्य कितना मैं मैं करते हैं, पैसे के पीछे भागते हैं प्रिय डायरी हम मनुष्य कितना मैं मैं करते हैं, पैसे के पीछे भागते हैं
सोच रही थी इतनी शिक्षा इनकी जीवन की तपस्या का ही तो निचोड़ है सोच रही थी इतनी शिक्षा इनकी जीवन की तपस्या का ही तो निचोड़ है
किताबें पढ़ना, फिल्में देखना, पुराने दोस्तों से बातें करना, नई नई रेसिपीज बनाना किताबें पढ़ना, फिल्में देखना, पुराने दोस्तों से बातें करना, नई नई रेसिपीज बनाना
पिता से विनती करती है इस विपदा में उसको आश्रय दें पिता से विनती करती है इस विपदा में उसको आश्रय दें
ड़ी की ईंजन सर्र-सर्र करती आगे बढ़ती जा रही थी। ड़ी की ईंजन सर्र-सर्र करती आगे बढ़ती जा रही थी।
एक उत्साह की तेज बिजली मानो उसके सिर से हाथों तक दौड़ गयी हो एक उत्साह की तेज बिजली मानो उसके सिर से हाथों तक दौड़ गयी हो