ड़ी की ईंजन सर्र-सर्र करती आगे बढ़ती जा रही थी। ड़ी की ईंजन सर्र-सर्र करती आगे बढ़ती जा रही थी।
असामान्यों की भाँति बढ़ता जा रहा था और शमा की चिता उसकी आँखों से ओझल हो चुकी थी। असामान्यों की भाँति बढ़ता जा रहा था और शमा की चिता उसकी आँखों से ओझल हो चुकी थी।