चलचित्र की भांति उभर रही थी और मन की ऊहापोह की स्थिति वापस ना जाने की और इशारा कर रह चलचित्र की भांति उभर रही थी और मन की ऊहापोह की स्थिति वापस ना जाने की और इशा...
उनके घर पर सभी काम करते थे और उनके अनुसार अनाज पाते थे, आज छूत, अछूत जितना बड़ा करके । उनके घर पर सभी काम करते थे और उनके अनुसार अनाज पाते थे, आज छूत, अछूत जितना बड़ा क...
(नोट — यह व्यंग्य नहीं है। ) (नोट — यह व्यंग्य नहीं है। )
शारीरिक शोषण और दहेज अब केवल पुरातनपंथियों के हथियार नही रह गये हैं! शारीरिक शोषण और दहेज अब केवल पुरातनपंथियों के हथियार नही रह गये हैं!
नैया संग बहक रही, सवार की पतवार। आँधी कुछ ऐसी चली, आज़ादी पर वार। नैया संग बहक रही, सवार की पतवार। आँधी कुछ ऐसी चली, आज़ादी पर वार।