“हेलो ? हेलो ? सच कह रही हो ? जवाब दो ? ठीक है ? सच में आ जाऊँगा फिर मैं ? हेलो ? हेलो ?” बंसरी अब ... “हेलो ? हेलो ? सच कह रही हो ? जवाब दो ? ठीक है ? सच में आ जाऊँगा फिर मैं ? हेलो ...
दूसरे के चिराग को मैं खुशी दे दूँ। मैं तो एक बुढ़िया हूँ, आज मैं हूं, पर कल बुझ भी जाऊँ ! दूसरे के चिराग को मैं खुशी दे दूँ। मैं तो एक बुढ़िया हूँ, आज मैं हूं, पर कल बुझ ...
बच्चों की जिंदगी को किस्मत के फेर में फिर फँसा दिया। बच्चों की जिंदगी को किस्मत के फेर में फिर फँसा दिया।
लेखक : अलेक्सान्द्र कूप्रिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास। लेखक : अलेक्सान्द्र कूप्रिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास।
उनसे हर सम्भव बचने की कोशिश करना ही हम सबकी प्राथमिकता होनी चाहिए। उनसे हर सम्भव बचने की कोशिश करना ही हम सबकी प्राथमिकता होनी चाहिए।
हमारे गाँव वाले भाईयों ने यही तय किया है। आज रात को पांव-पैदल ही निकल जायेंगे।" हमारे गाँव वाले भाईयों ने यही तय किया है। आज रात को पांव-पैदल ही निकल जायेंगे।"