आंसू पोंछते हुए टेबल ने बस इतना ही कह पाया भगवान सलामत रखे इन जोड़ों को। आंसू पोंछते हुए टेबल ने बस इतना ही कह पाया भगवान सलामत रखे इन जोड़ों को।
सजल नयनों से एक दूसरे को सांत्वना देती हुई गले से लिपट गई। जैसे बरसों बिछड़ी सहेलियां ल सजल नयनों से एक दूसरे को सांत्वना देती हुई गले से लिपट गई। जैसे बरसों बिछड़ी सहे...
जीवन का वीराना अब प्रेम के उजालों से रौशन था। खामोशियों को स्वर मिल गये थे। जीवन का वीराना अब प्रेम के उजालों से रौशन था। खामोशियों को स्वर मिल गये थे।
जो शिक्षा और संस्कार उन्होंने तुम्हें दिये हैं वही कमाने के लिए पथप्रदर्शक रहेंगे। जो शिक्षा और संस्कार उन्होंने तुम्हें दिये हैं वही कमाने के लिए पथप्रदर्शक रहेंग...
वो बोली, "मम्मी मुझे नहीं करनी शादी...! आप समझते क्यों नहीं? वो बोली, "मम्मी मुझे नहीं करनी शादी...! आप समझते क्यों नहीं?
मैं, असहाय ना होकर भी, स्वयं को असहाय अनुभव करती रहूंगी मैं, असहाय ना होकर भी, स्वयं को असहाय अनुभव करती रहूंगी