एक क्लॉस टीचर के माध्यम से विपिन को अपने माँ का सहयोग मिला और अपनी मंज़िल को पाने का... एक क्लॉस टीचर के माध्यम से विपिन को अपने माँ का सहयोग मिला और अपनी मंज़िल को पाने...
आलमारी में से अपने बचपन की फ्रेमजड़ित तस्वीर उठा कर देखा और फूट फूट कर रो पड़ी आलमारी में से अपने बचपन की फ्रेमजड़ित तस्वीर उठा कर देखा और फूट फूट कर रो पड़ी
ये सोचते हुए वो फ़र्श पर पड़े काँच के टुकड़ों की ओर चल दी। ये सोचते हुए वो फ़र्श पर पड़े काँच के टुकड़ों की ओर चल दी।
बस इतना ही समझ लीजिये कि मेरे अपनो ने ही नहीं होने दिया बस इतना ही समझ लीजिये कि मेरे अपनो ने ही नहीं होने दिया
लेखक: सिर्गेइ पिरिल्यायेव अनुवाद : आ. चारुमति रामदास समर कॉटेज. त्यौहार के दिन औ लेखक: सिर्गेइ पिरिल्यायेव अनुवाद : आ. चारुमति रामदास समर कॉटेज. ...
कभी किताब छूते नही देखा तुझे कभी किताब छूते नही देखा तुझे