तीसरी ने-"वही तो। मन यदि शुद्ध हो तो विकार प्रवेश ही नहीं करेगा।" तीसरी ने-"वही तो। मन यदि शुद्ध हो तो विकार प्रवेश ही नहीं करेगा।"
दादाजी उसके मासूम मन को पढ़कर दुखी हो जाते थे, दादाजी उसके मासूम मन को पढ़कर दुखी हो जाते थे,
रघु जब भी जया के पास बैठकर बात करना चाहता तो जया अपने मोबाइल के दुनिया में खोयी रहती रघु जब भी जया के पास बैठकर बात करना चाहता तो जया अपने मोबाइल के दुनिया में खोयी ...
“ लो.. पहनो। आज तुम्हारा पहला वटसावित्री है ।” “ लो.. पहनो। आज तुम्हारा पहला वटसावित्री है ।”
पत्नी की ख़ुशी उनकी भी ख़ुशी बन कर उन पर तारी हो गई थी। पत्नी की ख़ुशी उनकी भी ख़ुशी बन कर उन पर तारी हो गई थी।