.....नहीं चाहिऐ मुझे तुम्हारी ये हमदर्दी। मुझे अब जीवन में सिर्फ़ अपने उजाले चाहिऐ, लौटा सकते हो मेरी... .....नहीं चाहिऐ मुझे तुम्हारी ये हमदर्दी। मुझे अब जीवन में सिर्फ़ अपने उजाले चाहि...
बच्चों को तो इतना चाव होता था कि रात्रि में बेसब्री से लाइट जाने का इंतज़ार करते बच्चों को तो इतना चाव होता था कि रात्रि में बेसब्री से लाइट जाने का इंतज़ार करते
आंधियों के मुक़ाबिल वो उजाले परखने को, सिरहाने इन चरागों के हम तेज़ हवा रखते हैं आंधियों के मुक़ाबिल वो उजाले परखने को, सिरहाने इन चरागों के हम तेज़ हवा रखते ...