मेरा जीवन अभिशापित हो गया। मेरा जीवन अभिशापित हो गया।
शांति जी अवाक् खड़ी देखती रह गई और राधा अपनी बिटिया को संभालने निकल गई। शांति जी अवाक् खड़ी देखती रह गई और राधा अपनी बिटिया को संभालने निकल गई।
आखिर समर शुरू हुई। पंडित जी के घर पानी की कोई दिक्कत नहीं रही। आखिर समर शुरू हुई। पंडित जी के घर पानी की कोई दिक्कत नहीं रही।
मेरा नाम तो सौभाग्यवती है, परन्तु इनके लिए बहुत बड़ा दुर्भाग्य हूँ, मेरा नाम तो सौभाग्यवती है, परन्तु इनके लिए बहुत बड़ा दुर्भाग्य हूँ,