वर्किंग वुमन

वर्किंग वुमन

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Gender Equality के रास्ते चलते हुए हम औरतों ने अपने लिए career में नए नए मुकाम हासिल किये है।वर्क प्लेस के साथ साथ वह घर को भी संभाल रही है।जैसे हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती ठीक वैसे ही कुछ कुछ वर्किंग वुमन की जिंदगी होती है।अब सुनीता की ही बात ले लीजिए,वह एक ऑफ़िस में अच्छी पोजीशन में काम करती है।घर में पति सपोर्ट तो करते है लेकिन कुछ अलग किस्म के संघर्षों से उसे दो चार होना पड़ता है।सुनीता work place में खुद को prove करने के लिए ज्यादा मेहनत करती है।प्रमोशन भी उसे महिला होने के कारण नहीं बल्किcaliber से मिला है, यह बात अपने पुरुष सहकर्मियों को बातों बातों में जताती रहती है।


Home front?उसका क्या कहना? क्योंकि एक पढ़ी लिखी और smart working woman है तो सब लोग उससे expect करते रहते है कि घर परिवार के सारे मसलों को वह बेहतर ढंग से हैंडल कर लेगी।मुस्कुराते हुए वह सारे challenges को accept करते भी चली जाती है।किसी प्रॉब्लम का अगर वह जिक्र भी करती है तो घर में मौजूद लोग एक रटी रटाई कैफियत देते रहते है,"तुम क्यों अपने problems हमें बता रही हो? हमने तो तुम्हें नौकरी के लिए नहीं कहा था।नौकरी करना तो तुम्हारा passion और सपना था।"बात सही है और अजीब भी।

परिवार को समय नहीं दे पाने की कसक के साथ वह अपने career में आगे बढ़ती जाती है।कुछ खो कर कुछ पाने के अहसास केसाथ।

हर लम्हे इसी कश्मकश में की जिंदगी में क्या खोया और क्या पाया है.....


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