Harshita Gupta

Others

3.8  

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वो सतरंगी पल

वो सतरंगी पल

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कुछ पल ऐसे थे

जो भुलाए ना भूल पाए हम।

वो पल ही तो थे जो हमे हम बनाया करते थे

उन्हीं को याद करके अब सिर्फ मुस्कुराया करते हैं हम।

क्योंकि वो पल इन्द्रधनुष की तरह रंगीन थे।

जिंदगी में रंग था और हम रंगीन थे।

कहाँ गए वो सतरंगी पल ।

क्या वो था सिर्फ मेरा बीता हुआ कल क्यों है मन इतनी हल चल।

हा वो पल अब है मेरा बीता कल अब मुझे खुद से कहना है चल तू उन्हें भूलकर आगे चल।



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