STORYMIRROR

Harshita Gupta

Children Stories

3  

Harshita Gupta

Children Stories

नादान परिंदा

नादान परिंदा

1 min
215

वो तो था नादान परिंदा , तुम जैसा वो दिखता था कभी न वो रुकता था। उसको ऊंचा उड़ना था। ना क्भी फिर रुकना था। सुनो ध्यान से उसकी कहानी इसमें थी एक सुंदर रानी। वो परिंदा उड़कर एक खिड़की पर बैठा। उसको देखकर रानी मुस्कायी नादान परिंदे को उसकी हंसी समझ न आई। पकड़ कर पिंजरे मैं डलवाया रानी की वजह वो फिर खुले आसमान मैं उड़ न पाया। रानी उसको खुद सताती उस पर अपनी चित्रकारी आजमाती पर परिंदे को वो खुला आसमान था भाता। इस बंद पिंजरे मैं ज्यादा दिन वो भला कैसे रह पाता। एक दिन रानी ने वो पिंजरा खोला वो नादान परिंदा धीरे से बोला " मैं उड़ जाऊंगा नील गगन में, फिर न आऊंगा इस कैद के जाल में, मुझको तो भाती है आजादी" फिर वो परिंदा उड़ जाता है लोट के वापिस कभी उस तरफ न आता है ।

बोलो बच्चो क्या तुमको भी है भाती तुम्हारी आजादी।


Rate this content
Log in