विकास का जादू
विकास का जादू
विकास एक ऐसा शब्द हैं जो नेता बोलते हुए नहीं थकते और जनता सुनते हुए नहीं थकती। ये ऐसा विकास है जो नेताओं के भाषण मंच से निकल कर, सीधे जनता के दिल और दिमाग में घुस जाता हैं। विकास की यात्रा थोड़ी और आगे बढ़ती हुई इसे पुकारने वाले नेता को और अधिक लोकप्रिय बना देती हैं। विकास नेताओं के साथ चलते-चलते उन्हें उच्च से उच्चतम शिखर पर पहुंचा देता हैं। बस विकास की यात्रा फिलहाल के लिए यहीं पर खत्म होती है। विकास फिर से तैयार होने लगता हैं, उसे पुनः हैलीकॉप्टर पर सवार होकर नेताओं के साथ नये चुनावी दौरे पर रवाना होना हैं। कितना विकास, कैसा विकास, कैसे विकास और किसका विकास - ऐसे प्रश्न एक विकासशील देश में बेमानी हैं। ऐसे प्रश्न कोई नहीं पूछता, एक आम इंसान बस देखता रहता है अठारह से अस्सी तक और ऐसे ही विकास चलता रहता है, चुनाव दर चुनाव, भाषण दर भाषण, इस राज्य से उस राज्य, हर पांच साल - कभी यहां गुंजता है, कभी वहां गुंजता हैं और जनता सुनती रहती हैं नेताओं को और नेताओं के भाषण में विकास की बात को।
