विचार
विचार


बहुत दिनों से सोच रही थी कि लिखूं..
कभी सोचा ..सब को सब पता ही है..
पर जाने क्यूँ रहा नहीं जा रहा था..
कुछ दिन पहले एक बिल्कुल जवान
उभरता अभिनेता हमारे बीच से चला गया
मृत्यु के कारणों का अभी तक कुछ स्पष्ट
कारण का पता नहीं चल पाया है, जांच चल रही है
लेकिन यदि आपको पल- पल की खबर चाहिए तो,
हमारे तथकथित। " मीडिया हाउस " आपके लिए
हाज़िर हैं..
उस कलाकार की काबिलियत की चर्चा , उसके जीते जी
होनी चाहिए थी, वो तो कभी हुई नहीं...
लेकिन मरने के बाद , खोद - खोद कर, उधेड़- उधेड़ कर
उसके निजी जीवन को मसाला लगा के इन मीडिया हाउस
द्वारा रोज 24 घंटे परोसा जा रहा है..
जो काम पुलिस, सीबीआई का है... वो न्यूज चैनल
द्वारा, उनके रिपोर्ट्स द्
वारा बखूबी किया जा रहा है..
मुझे समझ नहीं आता की क्या ये डे -टूडे की अपडेट
किस के कहने से प्रसारित हो रही है?
क्या ये रेगुलेटरी एक्ट के अधीन ही है ?
मैने देखा की उस एक्टर की नीजी बातचीत भी
सरे आम चैनल्स पर दिखाई जा रही है...
क्या ये जांच गुप्त नहीं रखनी चाहिए?, जब तक
कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आ जाता ??
ये क्या, क्यूँ, और किनके कहने से हो रहा है
इसकी राजनीति तो मुझे नहीं जान नी है,
बस ये सोचती हूं की, जो काम जिसका है, वही
करे तो बेहतर है.
खबर को खबर का ही लिबास पहनाया जाए ..
तो देखने और सुनने का मन करता है,
परमात्मा उसकी आत्मा को शांति प्रदान करें
कम से कम उसे वहां तो चैन मिले !