ऊँची पहाड़ी वाला ड्रैगन
ऊँची पहाड़ी वाला ड्रैगन
ऊँची पहाड़ी के नीचे बसे गाँव मे एक छोटी सी लडकी सिम्मी अपने माता (गौरी) और पिता (भोले शंकर ) के साथ रहती थी। सिम्मी का परिवार गरीब तो था, लेकिन खुशहाल परिवार था। उसके पिता (भोले शंकर )खेती करके जो भी अनाज होता उसे शहर मे बेच के किसी तरह परिवार का पालन पोषण करते थे।
घर के बाहर ही छोटा सा बगीचा था। जिसमे सिम्मी अपने खिलौनो के साथ खेला करती थी। उन खिलौनो मे एक गुडिया थी जो सिम्मी की जान थी। अक्सर सिम्मी अपनी गुडिया को उस ड्रैगन के बारे मे बताती रहती थी। सिम्मी का घर जिस ऊँची पहाड़ी के नीचे था उस पहाड़ी पर एक ड्रैगन रहता था ।जो बहुत ही खतरनाक था। वो अपने मुह से आग उगलता था । गाँव वाले अपने बच्चो को हमेसा ही उस ऊँची पहाड़ी से दूर रहने की हिदायत देते थे।बच्चे भी इस डर से उस ऊँची पहाड़ी पर जाने की हिम्मत नही करते थे।
लेकिन सिम्मी को लगता था की वो ड्रैगन अच्छा है। जब भी वो अपने बगीचे मे खेलती थी उसे एसा लगता था जैसे वो ड्रैगन रो रहा हो। शायद उसका कोई दोस्त नही था इसलिये वो रोता था।चिल्लाता था। सिम्मी को उसकी रोने की आवाज सुन के उसके उपर बहुत दया आती थी। उसका मन होता था बस अभी चली जाये उस ड्रैगन के पास और उससे पुछे की वो क्यो रो रहा है। लेकिन जैसे ही वो जाती।कोई ना कोई उसे रोक लेता था।
पाँच दिन बाद सिम्मी का तीसरा जन्मदिन आने वाला है। सिम्मी 3 साल की हो जाएगी। तो उसके माता पिता ने उसका जन्मदिन मनाने का सोचा। इसके लिये सबसे पहले जन्मदिन पर जिन मेहमानो को बुलाया जाना था उनकी लिस्ट बनाने की जरुरत थी।मेहमानो मे कुछ रिस्तेदार होगे, कुछ पडोसी होगे, सिम्मी के पापा के कुछ खास दोस्त होगे, और सिम्मी के भी कुछ खास दोस्तो को बुलाया जाएगा।
मेहमानो की लिस्ट बन चुकी थी। लेकिन फिर भी भोले शंकर ने सोचा की क्यो ना एक बार सिम्मी से भी पूछ लिया जाये की क्या वो किसी और को भी बुलाना चाहती है।
"भोले शंकर- सिम्मी बेटा,क्या आप अपने जन्मदिन पर किसी और को भी बुलाना चाहती है?"
"सिम्मी- हा पापा, मै उस ऊँची पहाड़ी पर रहने वाले ड्रैगन को बुलाना चाहती हूँ।"और ये बोलते ही सिम्मी दौड पडी उस ऊँची पहाड़ी की तरफ ड्रैगन को न्यौता देने के लिये। तभी उसके पापा भी उसके पीछे दौड पड़े और उसे पकड लिया। फिर गोद मे उठा के वापस घर लाये।
"भोले शंकर- सिम्मी बेटा ,आपको कितनी बार मना किया है वहा ऊँची पहाड़ी के उपर नही जाना । वहा एक खतरनाक ड्रैगन रहता है ।"
तो सिम्मी अपने पापा की बात मान जाती है।
5 दिन बीत चुके थे । आज सिम्मी का जन्मदिन था । सारे मेहमान आ चुके थे। सब सिम्मी के लिये गिफ्ट लाये थे। आज सिम्मी के लिये खुसी का दिन था लेकिन फिर भी वो उदास थी क्योकि वो ऊँची पहाडी पर रहने वाले ड्रैगन को अपने जन्मदिन पर बुला नही पाई थी।
कुछ दिनो बाद गाँव मे सूखा पडता है। सारे कुए, नदी ,तालाब सब सुख जाते है जिस वजह से सभी गाँव वाले बहुत परेशान थे। तभी एक दिन सिम्मी ने पडोसी काका को अपने पापा से कहते सुना की उस ऊची पहाड़ी पर रहने वाले ड्रैगन की वजह से ही बारिश नही हो पा रही है। और इसीलिए चारो ओर सुखा पडा है। अगर कोई उस ऊँची पहाड़ी के ड्रैगन को वहां से भगा दे तो सब कुछ ठीक हो जाएगा।
ये बात सुन के सिम्मी ने मन ही मन मे ठान लिया था की अब तो वो उस ऊँची पहाड़ी पर जाके रहेगी और उस ड्रैगन से भी मिलेगी जिससे वो ड्रैगन को अपना दोस्त बना सके।
अगले दिन मौका मिलते ही सिम्मी अपनी प्यारी गुडिया को लिये ऊँची पहाड़ी की तरफ दौड पडती है। अपने छोटे छोटे पैरो से अभी वो कुछ ही दूर पहुची थी ।तभी उसकी माँ की नजर सिम्मी पर पडती है। वो डर जाती है और सिम्मी के पीछे भागती है उसे पकड़ने के लिये। लेकिन सिम्मी बहुत आगे निकल चुकी थी। सिम्मी की मम्मी का पैर दौडते वक़्त फिसल जाता है और गिरने की वजह से उनको चोट लग जाती है।
लेकिन सिम्मी की चिंता लिये वो एक बार उठने की कोशिश करती है।मगर ज्यादा चोट आने के कारण उठ नही पाती और सिम्मी को रोकने के लिये वही से रोने चिल्लाने लगती है। उनकी चीख पुकार सुन के बाकि लोग भी आ जाते है।
उधार सिम्मी पहाड़ी की ऊँचाई पर पहुच जाती है जहाँ वो ड्रैगन अकेला रहता था। लाल लाल आँखो वाला बहुत ही बडा ड्रैगन था वो। उसके शरीर पर काटे थे। जब वो चलता तो धरती हिलती थी। उसकी अवाज सुन के कोई भी डर जाये।जैसे ही ड्रैगन ने सिम्मी को देखा उसने अपने मुह से आग फेकि सिम्मी की ओर। सिम्मी डर जाती है। और सोचती है की वापस लौट जाऊ। लेकिन फिर उसके मन मे ख्याल आता है की आज तो दोस्ती करके ही जाऊगी।
फिर वो हिम्मत करके ड्रैगन से पूछती है की "तुम्हारा कोई दोस्त नही है? तुम्हारे मम्मा-पापा कहाँ हैं ? तुमको किसी ने सिखाया नही की कैसे बात की जाती है?"
सिम्मी की हिम्मत देख के ड्रैगन शांत हो जाता है और सिम्मी से पूछता है की "कौन हो तुम? तुम्हे डर नही लगता मुझसे?" फिर सिम्मी उसे अपना नाम बताती है और कहती है की मै तुमसे दोस्ती करना चाहती हूँ। सिम्मी की बहादुरी देख के वो ऊँची पहाड़ी वाला ड्रैगन खुश हो जाता है और सिम्मी से दोस्ती कर लेता है।
फिर सिम्मी उससे अपने घर चलने के लिये कहती है तो ड्रैगन मान जाता है।और सिम्मी को अपनी पीठ पर बैठा कर उस ऊँची पहाड़ी से नीचे उतरने लगता है। वो जिस रास्ते से होते हुए नीचे आते है उनके पीछे पीछे पानी की एक धारा भी आती है। और गाँव के तालाब मे जाके मिल जाती है।
तभी सारे गाँव वाले देखते है उस ड्रैगन को अपनी ओर आते हुए। पहले तो सभी डर जाते है लेकिन जब उन्हे सिम्मी दिखती है तब उनका डर थोडा कम होता है।
सिम्मी उन सभी को ड्रैगन से मिलवाती है ।थोडी देर बाद बारिश भी आ जाती है और सारे कुए,नदिया फिर से पानी से भर जाते है । सब लोग ये देख बहुत अब गाँव वाले उस ऊँची पहाड़ी वाले ड्रैगन से डरते नही है बल्कि उसके साथ खुशी खुशी रहते हैं ।