उजड़ा हुआ दयार ..कहानी श्रृंखला (8)
उजड़ा हुआ दयार ..कहानी श्रृंखला (8)
पति और पत्नी के बीच अंतरंग होने के लिए एक साल बहुत हुआ करते हैं।लेकिन ऐसा भी होता है कि पति -पत्नी नदी के दो अलग अलग किनारे बनकर ही पूरी ज़िंदगी बिताते रहे !एक ऐसा भी दौर समीर ने देखा था जब औरतों को बहुत स्वतन्त्रता नहीं हुआ करती थी।यहाँ तक कि उनका बाहर निकलना भी सम्भव नहीं हुआ करता था।पढाई लिखाई के नाम पर अधिक से अधिक हाई स्कूल या इंटर ........और वह भी प्राइवेट।कुछ तो आठवीं से ही घर में बिठा देते थे ,यह कहते हुए कि उनको कोई नौकरी तो करनी नहीं है !अरे,चिट्ठी पत्री लिख पढ़ ले, कभी कभार रामायण बांच दे यही तो !लेकिन वह दौर दूसरा था।आज का दौर अब दूसरा आ गया है।अब लड़कियों को बराबर का हक मिल गया है।क्या लड़की और क्या लड़के।बल्कि जैसे बैक अप के रूप में कुछ ज्यादा ही तेज़ी पकड़ने लगी हैं लडकियां।
ठीक यही हाल सामाजिक सम्बन्धों में आया है।अब क्या ऊंच और क्या नीच ,क्या अमीर और क्या गरीब ! क्या गोरा क्या काला।बड़े आदमी और छोटे आदमी कौन होते हैं इसे जानना मुश्किल है।बल्कि अब आप चमार को चमार ,धोबी को धोबी ,लुहार को लुहार भी नहीं कह सकते !ये सभी समाज के और देश के सम्मानित नागरिक हैं।अब यह भी स्वतन्त्रता हासिल की जा चुकी है कि आप अपने नाम के साथ जो चाहें वह जातिगत सम्बोधन लगा बैठें।इसीलिए अब सिंह साहब असली ठाकुर हैं या नकली ठाकुर यह जानना एक पहेली है।
सबसे बड़ी पहेली तो अब आज का मनुष्य हो चला है , मनुष्य का हाईटेक वर्जन हो चला है ,उसकी मन:स्थितियां हो चली हैं ,उसके अन्दर बैठा देव और दानव है। मनुष्य पुरुष हो या नारी सब एक दूसरे पर भारी पड़ते जा रहे हैं। कोई किसी से कमतर अपने को मानने को तैयार ही नहीं है !....और यही जो भावना है वह मनुष्य को उसकी मनुष्यता से भी दूर करती चली जा रही है।उसकी संवेदनशीलता तो गई तेल लेने।
मीरा ने अपना रास्ता ढूँढ़ लिया था।उसे अपने कैरियर को दाम्पत्य जीवन के आगे नतमस्तक नहीं करना है।वह अपना अलग व्यक्तित्व बनाकर ही रहेगी।वह किसी की मिसेज बनकर अपना परिचय नहीं देना चाहती बल्कि लोग उसे मैडम के रूप में पहचाने,।मैडम मीरा दि ग्रेट ...!
समीर ने अकेले ही सारी तैयारियां करनी शुरू कर दी थी।पासपोर्ट तो पहले ही बनवा लिया था उस ख़्वाब के तहत कि शादी के बाद अगर बात बनी तो कम से कम दुबई या मारीशस हो आऊंगा।लेकिन सो तो होने से रहा। घर में आते ही उसकी पत्नी के तेवर ऐसे चढ़े कि घर की छत के नीचे ही रहना मुश्किल हो चला था।पासपोर्ट के बाद वीसा ! अमेरिकी वीसा लगवाने में उसे कई परेशानियो का सामना करना पड़ा।वह तो ऑफिस के लोग थे जो आसानी हो गई।अब उसके विदेश जाने की तैय्यारी मुकम्मल हो चली थी।
समीर के संगी साथियों के यहाँ से उनके विवाह के बाद उनके घरों में किलकारियों की गूँज सुनाई देने लगी थी।राहुल भट्ट तो एक साथ जुडवा बेटे पा चुका था तो सुशील मोहन के घर एक लड़की ने जन्म ले लिया था | समीर के लिए यह सब बातें फिजूल की थीं।अपने अपने कैरियर के आगे उनके यहाँ अभी किलकारियां गूँजने से रहीं।
मीरा अपने मायके में बी.एड. की पढाई करने चली जा चुकी थी और समीर आज अमेरिका के लिए फ्लाईट पर सवार था।
(क्रमशः)
