उड़नतश्तरी
उड़नतश्तरी
गर्मी का महीना था, शुभ गर्मी की छुट्टियाँ बिताने नाना नानी के घर गया था सभी लोग आँगन में सो रहे थे।आसमां में झिलमिलाते तारों को बच्चे कभी गिनते ,कभी उसमें तरह तरह की आकृतियाँ तलाशते।नानाजी बच्चों को चाँद तारों की कहानियाँ सुना रहे थे, बच्चों को बहुत मजा आ रहा था।
कहानियाँ सुनते सुनते शुभ को लगा जैसे कोई उड़नतश्तरी नीचे उतर रही हो।वह दूर से ही उसे देखने लगा।धीरे धीरे वह उड़नतश्तरी नीचे जमीन पर आकर रुक गई।शुभ वही छुपकर सब देखने लगा।उड़नतश्तरी से एक बच्चा बाहर निकला ,उस बच्चे के पीछे पीछे एक विचित्र सा प्राणी भी बाहर आया,शायद किसी दूसरे ग्रह का प्राणी होगा।वह बच्चे को वही छोड़कर फिर से उड़नतश्तरी में बैठकर आसमान में चला गया।शुभ दौड़कर उस बच्चे के पास गया, वह तो उसका दोस्त विनीत था।"अरे विनीत तू कहाँ से आ रहा है, और किसके साथ यहाँ उतरा?" शुभ ने पूछा। विनीत ने बताया कि वह कल नदी में नहा रहा था तब अचानक तूफान आया और मैं बहुत डर गया, जब मुझे होश आया तो मैं ऊपर आसमान में उड़नतश्तरी में था।ये एलियन लोग बहुत अच्छे हैं, मेरा अच्छे से ध्यान रखे।और देखो मुझे सुरक्षित पहुँचा भी दिए।यह कहकर विनीत ने शुभ को गले से लगा लिया।
तभी शुभ की नींद खुल गया और उसे समझ आ गया कि वह तो सपना देख रहा था।