टूटा हुआ मकान
टूटा हुआ मकान
नवदिशा की आलीशान कोठी के सामने , भानुमति का टूटा हुआ मकान, नवदिशा के माथे की तनी हुई भृकुटि का कारण बना हुआ था। क्योंकि यह मकान उसकी खूबसूरत कोठी पर एक बदनुमा दाग था। उसकी आलीशान खूबसूरत कोठी का जमीन चिन्ह' टूटे हुए मकान के सामने वाली कोठी अंकित हो चुका था। यह सब सुनकर उसका खून खौलता था और वह जब-तब इस मकान को बिकवाने के लिए तिकड़म भिड़ाती रहती थी। लेकिन मकान की मालकिन भानुमति के लिए यह मकान किसी महल से कम नहीं था। शादी करके वह इसी मकान में आई थी। सुहागरात में इस मकान को तोड़कर, नया मकान बनाने का सपना तोहफे में उसने अपने पति से पाया था। लेकिन सपना, मानो सपना ही बन कर रह गया। साल भर के भीतर ही पति दुनिया से रुखसत हो गए। लेकिन भानुमति ने संघर्ष पूर्वक बेटे और परिवार की परवरिश करके, बेटा-बहू, पोता-पोती, सास-ससुर और ससुर की विधवा बहन के संयुक्त परिवार में रिश्तों को प्रेम एवं आदरपूर्वक संजोकर, इस मकान को एक बड़ा ही खूबसूरत घर बना दिया था। मकान भले ही टूटा हुआ था, लेकिन रिश्ते जुड़े हुए थे। पर, एक रात भयंकर तूफान और जोरों की बारिश ने भानुमति के टूटे हुए जर्जर मकान को ढाह कर, नवदिशा की मनोकामना को पूर्ण कर दिया। नवदिशा, भानुमति के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए, मन ही मन बड़ी खुश हो रही थी। चलो! अब उसकी खूबसूरत कोठी को ग्रहण लगाने वाला 'जमीन चिन्ह' टूटे हुए मकान के सामने कोठी खत्म हो जाएगा।
लेकिन दो दिन के भीतर ही कोठी के सामने कच्ची खपरैल वाली झोपड़ियाँ देखकर उसका माथा ठनकता हैं, जब कोठी का नौकर किसी को पता साझा कर रहा होता है-- हाँ-हाँ वहीं कच्ची झोपड़ियों के सामने वाली कोठी---।