टॉफी वाला बाबा
टॉफी वाला बाबा
एक बड़ा सा गाँव जिसका नाम रतनपुर था वहाँ कुछ दिनों से एक बाबा आ गया था वह गाँव में घूम - घूम कर भिक्षावृत्ति करता और छोटे बच्चों को टाफी बांटता था सब बच्चे उसे टाफी बाला बाबा - टाफी वाला . बाबा कहकर पुकारते थे । बाबा और बच्चे आपस में बहुत घुलमिल गये । कुछ दिनों बाद गाँव से एक - एक करके चार छोटे बच्चे गायब हो गये तो गाँव वालों का माथा ठनका गाँव वाले बहुत ही चिन्तित व गंभीर हुये उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लिया व पुलिस अधिकारियों व उच्च अधिकारियों से इसका हल ढूंढने का त्वरित आग्रह किया । पुलिस खुफिया एजेंसी के अधिकारी सतर्क हो गए । उन्होंने गुपचुप तरीके अपना जाल बिछाया ( यानि तहकीकात शुरू की ) पुलिस ने एक दिन शाम को जो देखा उसकी आँखें फटी की फटी रह गई । टाफी वाले बाबा ने एक अकेले खेलते हुए बच्चे को टाफी देने के लिए अपने पास बुलाया । बच्चा भी दौड़कर टाफी के लालच में आ गया । टाफी वाले बाबा के गिरोह के साथी वहाँ आकर छुपे हुए थे । ज्यों ही बच्चा पास में आया त्यों ही गिरोह के साथियों ने उस बच्चे का मुंह दबोच लिया और बच्चे को पकड़कर वहां से फरार हो गये । पुलिस ने पीछा कर सारे गिरोह को धर दबोचा व बच्चे को सकुशल मुक्त कराया । गिरोह ने चार बच्चों के अपहरण की बात भी कुबूल कर ली और कहा कि दूर के शहर में बच्चों के हाथ - पाँव तोड़कर भीख मंगवाई जाती है । इस तरीके से गायब बच्चों का सुराग मिला व टाफी वाले बाबा की पोल खुली ।
इस कहानी से हमें निम्न शिक्षायें मिलती हैं खाना चाहिए ।
( 1 ) कभी भी लालच में आकर किसी अन्य के द्वारा दी हुई चीज नहीं खाना चाहिये।
( 2 ) अनजान व्यक्ति पर भरोसा नहीं करना चाहिए ।
( 3 ) मॉ - बाप को भी ऐसे लोगों की हरकतों पर विशेष ध्यान रखना चाहिए ।
