टेढ़ी है पर मेरी है
टेढ़ी है पर मेरी है
लाजो की सासूमां बहुत तुनकमिजाज, हर बात में नुक्ताचीनी करने वाली महिला हैं । वह अगर किसी बात पर खुश हो जाएं तो लगता था जैसे सूखे में बरसात आ गई । कड़क सासु मां की छवि से ओतप्रोत अपने मालिकाना सास के सिंहासन पर राज करने वाली, मजाल है जो अपनी कड़क मिज़ाजी स्वाभाव से रत्ती भर इधर से उधर हो । उनको तो वही उपाधि मिलनी चाहिए जो सास त्रस्त बहूएं बोलती हैं "हाय हाय सासू मां उफ्फ उफ़ सासू मां"
लाजो रसोई घर में काम कर रही थी की सासु मां की कड़कड़ाती हुई आवाज सुनाई दी "अरे बहू कहां हो" , जिंदा हो,,,,?
लाजो गुस्से से बुदबुदाई " नहीं मर गई हूं मैं ", फिर मुंह बना कर बोली "जी मां जी ."
"आज कुछ नाश्ता पानी मिलेगा कि मुझे जिंदा ही मार डालना चाहती है. "
जी अभी लाती हूं कहकर लाजो चाय और गरमा गरम भजिया लेकर सासूमां के पास पहुंची , अपने स्वभाव से मजबूर सासू मां की नुक्ताचीनी शुरू हो गई ,
"अरे यह क्या ले आई इतनी तेल वाली भजिया , और कुछ नहीं मिला तुझे बनाने के लिए , इस उम्र में इतना तेल खिलाएगी मुझे, तू तो चाहती है कि मैं जल्दी स्वर्ग सिधार जाऊं "
लाजो ने बोला "ठीक है फिर मैं इसे वापस ले जाती हूं "
सासु मां ने मुंह बनाकर बोला ,"नहीं नहीं जो बन गया है यहीं पर रख दे तुझे तो बस सामान की बर्बादी करनी होती है घर गृहस्थी चलाना इतना आसान नहीं होता , ढंग का तो कुछ बनाना आता नहीं ,आई बड़ी वापस ले जाने वाली."
लाजो नाश्ता उनके पास रख कर बाहर चली आई और दरवाजे के पीछे से छुपकर देखने लगी , अंदर सासू मां लाजो के जाते ही भजियो पर टूट पड़ी । लाजो अपना मुंह दबाकर हंसते हुए किचन में भाग गई।
दिन में सासु मां की फिर आवाज आई "कुछ खाने को मिलेगा या नहीं दोपहर का खाना क्या मैं रात में खाऊंगी? "
लाजो ने खिचड़ी की प्लेट लाकर सासू मां के सामने रख दी , स्वभाव अनुसार सासु मां ने फिर बोला ,"यह क्या उबला खाना लाकर रख दिया मरीजों वाला, क्या मैं तुझे बीमार दिखती हूं, बिल्कुल शऊर नहीं है तुझे कि सास की देखभाल कैसे करे?"
लाजो बोली," मां जी आपको डॉक्टर ने बताया है एक समय खिचड़ी देने के लिए ."
"हां हां मेरी मां बनने की कोशिश मत कर" सासू मां फिर बड़बड़ाई ।
लाजो ने अपना सर पकड़ लिया और मन ही मन बुदबुदाई "हे भगवान मैं इनको कैसे खुश रखूं , कुछ अच्छा बनाऊं तो कहती हैं मुझे मार देना चाहती हो सिंपल सादा भोजन बनाओ तो बोलती हैं मरीजों वाला खाना है ,कैसे क्या करूं जो यह खुश हो जाए । भगवान भी आकर बोल दे कि तेरी बहू में खूबियां हैं तो यह भगवान की बात भी काट कर मुझमें नुक्स निकाल दे .वाह री मेरी सासू मां। सारा दिन बहू बहू बहू के नाम के जाप करती रहती हैं और नुक्स निकालने में भी माहिर है ।"
इसी तरह की रोज-रोज की नोकझोंक से सास बहू की जिंदगी की गाड़ी धक्के देकर पटरी पर सरक रही थी कि एक दिन लाजो की तबीयत बहुत खराब हो गई, वह बिस्तर से उठ ही नहीं पाई तभी लाजो ने देखा उसकी सासु मां उसके लिए खाने की प्लेट लेकर आई । और बहुत प्यार से लाजो को खिलाने लगी , आज लाजो को उनका एक अलग ही रूप देखने मिला, आज कड़क सास नहीं बल्कि ममतामई मां लग रही थी, लाजो ने बोला मां जी आप क्यों लेकर आई , मैं कर लूंगी ना ।
ताना मारते हुए सासु मां ने बोला ,"डर मत जहर नहीं है इसमें, तू मुझे तेल भरा खाना खिलाकर मारना चाहती है क्योंकि तुझे दूसरी सासु मां चाहिए होगी मगर मुझे तो तू ही चाहिए बहू के रूप में, तू तो मेरे लिए हर समय सब करती है क्या मैं इतना भी नहीं कर सकती चल चुप चाप इसको खा ले" कहकर प्यार से लाजो के सर में हाथ फेरा । लाजो की आंख में आंसू आ गए और वह सासूमां के गले लगने लगी कि सासू मां ने फिर से ताना मारा कि "बस बस बहुत हुआ जल्दी से खाना खत्म कर ." जाते-जाते अपनी आदत से बाज ना आने वाली सासू मां बोली," सुन बहू जल्दी से तबीयत ठीक कर ले यह मत सोचना कि मैं तुझसे सेवा नहीं कराऊंगी, तुझे मेरे पैर भी दबाने हैं समझी न ।"
लाजो मुस्कुराते हुए अपनी नखरीली सासू मां को देखकर मन ही मन बोली "टेढ़ी है पर मेरी है " मेरी नखरीली प्यारी सासू मां .
कुछ रिश्ते मीठे होते हैं बस बातें कड़वी होती है ।