थेगरा ज़िन्दगी
थेगरा ज़िन्दगी
एक लड़का जिसका नाम मुनीश था वह बहुत ही गरीब घर का लड़का था उसकी माँ कपड़े सिल - सिल कर अपने परिवार का गुजर बसर करती थी। मुनीश पढ़ने में होशियार था वह गरीब तो था ही उसके कपड़ों पर कई जगह थेगरे ( पैबंद ) लगे रहते थे सो उस कारण बड़े घर के लड़के उसका मजाक थेगरा जिन्दगी कहकर उड़ाया करते थे वह चुपचाप सभी के व्यंग्य व ताने सुनकर अनसुना कर देता था वह मन लगाकर पढ़ाई करता अपने काम से काम और राम से राम रखा करता था।
फालतू की बातों मैं अपनी एनर्जी (ऊर्जा ) नष्ट नहीं करता था उसकी पढ़ाई की लगन देखकर स्कूल के प्रधानाचार्य महोदय ने उसकी पढ़ाई का जिम्मा अपने ऊपर लिया था अब तो मुनीश और भी निश्चिन्त होकर पढ़ने लगा वह सभी कक्षायें प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होता गया उसकी अब पूरे गाँव में बाहवाही होने लगी जो लोग व दोस्त उसको थेगरा जिन्दगी कहकर चिढ़ाते थे वो अब उससे नजरें चुराने लगी। मुनीश ने अपनी मेहनत व लगन के दम पर भारत की सर्वश्रेष्ठ परीक्षा भारतीय प्रशासनिक सेवा IAS भी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। उसका कलेक्टर पोस्ट पर चयन हुआ। अब तो थेगरा जिन्दगी सही मायनों में खुशी जिन्दगी में परिवर्तित हो गई थी उसने अपने प्रधानाचार्य महोदय का बहुत ही आभार माना जिन्होंने उसे पढ़ने में आर्थिक व सकारात्मक सहयोग प्रदान किया था। एक कहावत है कि घूरे के भी ििदिन फिरते हैं हमें गरीब जानकर किसी भी व्यक्ति का मजाक नहीं बनाना चाहिए। क्योंकि गुदड़ी में भी लाल छिपा हुआ करते हैं। शिक्षायें ( 1 ) हमें किसी भी गरीब व्यक्ति का मजाक नहीं बनाना चाहिए।
