सूर्य सा मेरा पहला प्यार
सूर्य सा मेरा पहला प्यार
दिल के बंद किवाड़ों पर जब दस्तक पहली बार हुई
सुनी सुनाई कोई कहानी मेरी ना साकार हुई ।
ना ही सुर्ख गुलाब खिले, ना गूँजी कोई ग़ज़ल
बस अंतस को रोज़ भेदते तीरों की बौछार हुई ।।
प्रेम में बिछोह से जब मन आद्र हो जाए तो साथ बीते स्नेहिल क्षणों की किरणें उसे उष्णता देती हैं किन्तु जब प्रेम का पदार्पण ही मन में उठी किसी टीस के साथ हो तो मन किसी गहन कोहरे में फंसे पथिक सा हो जाता है जिसकी सभी राहें धुँधला गई हों। यही मेरे साथ भी हुआ।
प्रेम भला कब किसी निमंत्रण या अनुज्ञा को प्रतीक्षारत रहा है । मैं पहली बार उससे तब मिली जब उसने अपने प्रेम का इकरार किया... मुझसे नहीं, मेरी सहेली से। पहली नज़र का प्रेम तो नहीं कह सकती, मगर सहेली का इनकार, फिर उसके निरंतर प्रयास और हर असफल प्रयास के बाद उसकी पलकों की भीगी कोरें ,जैसे मुझे किसी सम्मोहन में बांध रही थीं। उसने भी यह जान लिया था कि उसके दर्द का एहसास है मुझे, शायद इसीलिए अब मुझसे अपना दर्द बाँटने लगा था। निमित्त जो भी रहा हो किन्तु सानिध्य की सुधा मुझे मिलने लगी थी और साथ में मिला संवाद। संवाद जो भरा था आकांक्षाओं से, जीवन दर्शन से और प्रेम से। प्रेम पावन था, प्रगाढ़ था किंतु परस्पर नहीं हो सका। उसका अस्वीकृत और मेरा अप्रस्तावित प्रेम।
इन अनगिनत साथ बीते क्षणों में, और उसकी कही बातों में प्रायः मैं अपने प्रति अनुराग को खोजती रहती ठीक वैसी ही बेचैनी से जैसे किसी मरूस्थल में पानी खोजता कोई पिपासु। मेरा मन, कभी किसी मरीचिका की ओर दौड़ता सा और कभी इस इंतज़ार में ठहरा सा कि शायद ये गहन घन अपनी दिशा बदल मुझपर आ बरसे। मगर जिसे मैं बदली समझ बरसने का इंतज़ार करती रही वह तो बस प्रति क्षण सूर्य सा दमकता ही रहा।
वह सूर्य सा स्वयं अपने अनल में तपता और साथ झुलसती मैं। हाँ यह क्रम चलता ही रहा अनवरत...और फिर सृष्टि के क्रम की भाँति इस जलती दोपहरी के बाद साँझ का आगमन हुआ। ठीक वैसी ही साँझ जब सूर्य का ताप मंद लगने लगे और आकाश में चंद्रमा अपनी उपस्थिति दर्ज करने लगे। शनैः शनैः अपने सूर्य के तेज से ऊर्जित हो मेरा व्यक्तित्व चंद्रमा की भाँति दीप्त हो उठा था। अनंत में, एक दूसरे से दूर ही सही, कुछ देर को ही सही, मगर दिवाकर और सुधाकर दोनों प्रकाशमान हो उठे । दोनों ही संकल्पित थे अपनी पृथक राह पर अग्रसर होने को।
हाँ, सूर्य सा था मेरा पहला प्यार जिसने अपने तेज से मुझे सदा के लिए उज्ज्वल कर दिया।
