HARISH KANDWAL

Others

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HARISH KANDWAL

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सपनो की सड़क

सपनो की सड़क

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अरे बेटा उठ जा जल्दी तुझे जाना भी है, अपने काम पर म कहते हुए राजन की माँ ने राजन को उठाया। बेटा जल्दी कर पहली गाड़ी आठ बजे निकल जाती है। देर हो जायेगी तुझे, यह आवाज रंजन की कानों में गूँज रही थी लेकिन वह बिस्तर में करवटें बदलने में लगा था, उसकी आँखें बार बार बंद हो रही थी, इतना ठंडा मौसम और वह भी खिड़की के सामने चारपाई लगी हुई थी। राजन को दिल्ली अपने कर्म स्थल के लिए लौटना था।

   चार दिन की छुट्टी लेकर गाँव आ रखा था। राजन का गाँव नीलकंठ के पास जोगियाण गाँव में था, उसका गाँव सड़क के सात किलोमीटर दूरी पर था, महादेवसैण जहाँ पर गाँव का कच्चा रास्ता सड़क पर आकर मिलता था वहीं पर आकर गाड़ी के दर्शन होते थे। राजन के जैसे बहुत से साथी घर आना चाहते थे लेकिन महादेव सैण से 07 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई को देखकर उनकी योजना धरातल पर नहीं उतर पाती थी।


   जोगियाणा गाँव जो नीलकंठ धाम के नजदीक होते हुए भी सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से कोसों दूर था। गाँव में जब आता तो गाँव से वापस दिल्ली जाने का मन नहीं करता और जब दिल्ली चला जाता तो गाँव आने का मन तो करता लेकिन खड़ी चढ़ाई हमेशा पैर पीछे खींच लाती। राजन ने करवट बदली और फिर कुछ देर यही सोचता रहा कि यार जब उसकी दोस्त नेहा को पता चलेगा कि उसका गाँव सड़क से इतनी दूर है तो क्या वह उससे शादी कर लेगी, बस इन्हीं सवालों का जवाब ढूंढ रहा था उधर से पिताजी ने आवाज लगायी बेटा साढ़े 06 बज गये जल्दी तैयार हो जाओ नीचे उतरने में भी तो समय लगता है, गाड़ी किसी का इंतजार नहीं करती हैं वह निकल जायेगी तो फिर दो घंटे और रुकना पड़ेगा तुमको।  


   यह सुनकर राजन मन मसोसकर उठा, माँ ने वहीं पर चाय पकड़ाई वह पी और सीधे बाहर घूमने निकल गया। सामने नीचे गंगा बह रही थी, हल्का सा बरसात का कोहरा लगा हुआ था, इधर गहथ के ऊपर जाले लगे हुए थे, और मंदिर के चारों ओर सुंदर लाल फूल खिले हुए थे। खेतों में कहीं मंडुआ तो कहीं झंगोरे की बाल झुकी हुई थी। राजन इन सबको देखकर बड़ा प्रसन्न हो रहा था और सोच रहा था कि अपना गाँव कितना सुन्दर है। दिल्ली में जहाँ कोलहाल भरी जिंदगी और एक यहाँ शान्त वातावरण।

   

 लेकिन इस शान्त वातावरण का करना क्या है, एक अदद सड़क तक तो गाँव में पहुँची नहीं है, किसी से बात करो तो सब कहते हैं कि यह यहाँ नेता बनना चाहता हैं। क्या गाँव में सड़क लाने पर चर्चा करना नेता हुआ, और जो नेता हैं वह यहाँ सड़क क्यों नहीं लाते इन्हीं सब बातों में उलझा था कि सामने गाँव के एक वृद्ध व्यक्ति ने पूछा कि अरे राजन कितने और दिन की छुट्टी हैं, दो चार दिन बाद ककड़ी खाकर ही जायेगा। राजन ने कहा नहीं दादा जी मुझे आज ही जाना है दिल्ली।

 

   दोनों गाँव की सड़क पर चर्चा करते हुए घर आ गये, दादा जी ने बोला कि बाबा हमारे जीते जी यह सड़क आ जाती तो बढ़िया था कम से कम तुम लोगों को हमारे मरने के बाद महादेवसैण तक कंधे में लाश तो नहीं बोकनी पड़ती। बाकि तो जीवन के सारे बसंत चढ़ाई चढ़ते और उतरते कट गये। राजन ने कहा दादा जी ऐसा मत कहो अभी तो आपको हमारे बच्चे भी संभालने हैं, उन्हें भी तो कहानी सुनाओगे, यह सुनकर दादा जी ने कहा अरे लाटा जब ब्याह करेगा तभी तो बाल बच्चे होंगे, इसी हँसी मजाक के साथ दोनों अपने अपने घर निकल गये। 


   राजन घर आया फटाफट नहा धोकर तैयार हुआ माँ ने मक्की को रोटी और चंचेडा की सब्जी खिलाई और चार रोटी रास्ते के लिए रख दी। राजन ने पिताजी को प्रणाम किया माँ ने राजन का बैग सर पर रखकर आधे रास्ते तक छोड़ने आयी, राजन को छोड़ने के लिए उनका पालतू कुत्ता कालू भी आगे आगे पूंछ हिलाता हुआ जा रहा था। मॉ ने राजन को आम के पेड़ जो गाँव की सीमा पर था वहां तक छोड़ा और वापस घर आ गयी। राजन तेजी से दौड़ लगाते हुए महादेव सैण पहुंच गया।

 

    राजन वहां से गाड़ी में बैठा और ऋषिकेश आया फिर वहां से बस से दिल्ली के लिए रवाना हो गया। दिल्ली पहुंचकर अगले दिन अपने ऑफिस गया तो उसकी सहकर्मी और उसकी दोस्त नेहा ने कहा अरे राजन आ गये तुम घर से। यार गाँव से आये हो तो गाँव से स्पेशल खाने पीने की चीज क्या ला रखी है। नेहा को राजन ने इतना बता रखा था कि उसका गाँव नीलकंठ के पास है। नीलकंठ का नाम नेहा ने अच्छी तरह सुन रखा था, क्योंकि उसके मामा पिछले सावन में नीलकंठ आये थे। उसे लगा कि उसका गाँव भी सड़क के किनारे होगा। 


   इधर राजन और नेहा में करीबीयां बढ़ती गयी, नेहा ने तो राजन के साथ शादी करने का फैसला तक कर दिया लेकिन राजन ने कुछ नहीं कहा। उसका मानना था कि दिल्ली शहर में पली बड़ी लड़की क्या 07 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़ाना स्वीकार कर लेगी। एक दिन की बात होती कोई बात नहीं लेकिन मुझे तो हर चार महीने में गाँव जाना होता है, इन चार महीनों मे नेहा दो बार तो मेरे साथ जायेगी ही तो वह जा नहीं पायेगी, फिर गाँव वाले मेरी मजाक उड़ायेंगे। बस इसी उधेड़बुन में वह रोज नेहा को टालता रहता। उसने सोचा यदि एक दो साल में गाँव में सड़क बन गयी तो नेहा को अपनी दिल की बात कह दूंगा नहीं तो फिर किसी गाँव वाली लड़की से शादी कर लूंगा। लेकिन उसके गाँव में एक दो लड़के जो अविवाहित थे उनके रिश्ते की बात चल रही है जहाँ भी गाँव में किसी लड़की की जनम पत्री मिलती माँ बाप और लड़की यही सवाल पूछते कि क्या बाहर जमीन ले रखी है, या कोई मकान है, हमारी बेटी नहीं चढ़ पायेगी इतनी चढ़ाई । 


   राजन ने नेहा के साथ ही शादी करना चाहता था लेकिन बार बार सड़क की समस्या अपना मुंह खोले खड़ी हो जाती। विधानसभा, लोकसभा चुनाव, पंचायत चुनाव सब हो गये सब जीत गये। सबने वादा किया था कि महादेवसैण से जोगियाणा गाँव के लिए सड़क लेकर आयेंगे लेकिन उनके कार्यकाल निकल गये लेकिन सड़क का दोबारा कभी जिक्र नहीं हुआ। इस बार राजन ने क्षेत्र पंचायत का चुनाव में भागीदारी करने की सोची लेकिन वहां सीट आरक्षित हो गयी उसके यह सपने भी टूट गये। 

इधर नेहा उस पर दबाव बना रही है कि यार अब मेरे माँ पिताजी मेरे लिए रिश्ता ढूंढ रहे हैं, मैं कितने लड़कों को रिजेक्ट करूं अब तो माँ पिताजी कहने लगे कि बस इसी उधेड़बुन में वह रोज नेहा को टालता रहता।  

    

 उसने सोचा यदि एक दो साल में गाँव में सड़क बन गयी तो नेहा को अपनी दिल की बात कह दूंगा नहीं तो फिर किसी गाँव वाली लड़की से शादी कर लूंगा। लेकिन उसके गाँव में एक दो लड़के जो अविवाहित थे उनके रिश्ते की बात चल रही है जहाँ भी गाँव में किसी लड़की की जनम पत्री मिलती मॉ बाप और लड़की यही सवाल पूछते कि क्या बाहर जमीन ले रखी है, या कोई मकान है, हमारी बेटी नहीं चढ़ पायेगी इतनी चढ़ाई । 


    राजन ने नेहा के साथ ही शादी करना चाहता था लेकिन बार बार सड़क की समस्या अपना मुंह खोले खड़ी हो जाती। विधानसभा, लोकसभा चुनाव, पंचायत चुनाव सब हो गये सब जीत गये। सबने वादा किया था कि महादेवसैण से जोगियाणा गाँव के लिए सड़क लेकर आयेंगे लेकिन उनके कार्यकाल निकल गये लेकिन सड़क का दोबारा कभी जिक्र नहीं हुआ। इस बार राजन ने क्षेत्र पंचायत का चुनाव में भागीदारी करने की सोची लेकिन वहां सीट आरक्षित हो गयी उसके यह सपने भी टूट गये। 


   इधर नेहा उस पर दबाव बना रही है कि यार अब मेरे माँ पिताजी मेरे लिए रिश्ता ढूंढ रहे हैं, मैं कितने लड़कों को रिजेक्ट करूं अब तो माँ पिताजी कहने लगे कि अगर तुम्हें कोई लड़का पसंद है तो बताओ हम उससे मिलकर रिश्ता तय कर लेंगे लेकिन तुम कुछ कहते ही नहीं हो। आज नेहा ने राजन को बोला कि क्यों तुम कुछ छिपा रहे हो या तुम मुझसे प्यार नहीं करते हो इसलिए टाल रहे हो। नेहा के बहुत अधिक दबाव डालने पर राजन को बताना पड़ा। 


   राजन ने कहा नेहा मेरा गाँव सौभाग्य से नीलकंठ के पास है, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि मेरे गाँव में आज भी सड़क नहीं है। इस सदी में हम 07 किलोमीटर चढ़ाई चढ़कर अपने गाँव जाते हैं, जब हम पैदल जा रहे होते हैं तो लगता है कि हम तो केवल लोक लुभावने भाषणों और वोट देने की मशीन हैं, नागरिक के तौर पर तो हम बाहरी लगते हैं।

   क्योंकि हमारा दोष सिर्फ इतना है कि हम जोगियाणा गाँव में बसे, या हमारा गाँव के अगल बगल दूसरा गाँव नहीं है जिस कारण हमारे लिए सड़क के मानक नहीं बन पा रहे हैं। नेहा जब घर जाते हैं तो महादेवसैण की चढ़ाई चढ़ते वक्त लगता है कि बस आज के बाद कभी ना आऊं लेकिन गाँव की मिट्टी की खुशबू अपनी ओर खींच लाती है, क्योंकि रग रग में गाँव बसा है। मैं नहीं चाहता कि तुम मेरे से शादी करके बाद में पछताओ। मैं तो गाँव आता जाता रहूँगा ही लेकिन तुम नहीं जा पाओगी और वह सड़क कहीं हमारे भविष्य में दरार न पैदा कर दे। इसलिए हम एक अच्छे दोस्त ही बनकर रह लेंगे। तुम अपने माता पिताजी के पसंद की शादी कर सकते हो। नेहा ने राजन को बहुत समझाने का प्रयास किया लेकिन राजन नहीं माना।

 

   इधर नेहा भी गुमसुम रहने लगी, उसकी माँ ने पूछा कि नेहा क्या बात है तुम कुछ बदली बदली नजर आ रही हो। नेहा ने बातों में टाल दिया। एक दिन नेहा कि मामा की लड़की मानसी उनके घर आयी हुई थी तो बातों ही बातों में नेहा ने मानसी को राजन और अपनी बात बताई। यह भी बताया कि राजन एक अदद सड़क के नहीं होने से मुझसे शादी नहीं करना चाहता और मैं कह रही हूँ कि वह अपने माता पिताजी को शादी के बाद यहाँ ले आये लेकिन वह मानने को तैयार नहीं। मानसी ने कहा यार ये तो बड़ी समस्या है, हम कोई सांसद विधायक या सरकार के नुमाइंदे होते तो सड़क ही बनवा लेते।  

   सरकार का नाम सुनते ही मानसी को याद आया कि उसके एक दोस्त के पापा उत्तराखण्ड सरकार में विधायक हैं, उनसे बात करके देख लेते हैं। मानसी ने अपने दोस्त अश्वनी को फोन किया, और सारा माजरा बताया। अश्वनी ने कहा कि मैं पापा से बात करके देखता हूँ अगर कुछ बात बन जाये तो। 


  अश्वनी ने अपने पिता को जब राजन और नेहा की बात बतायी तो वह सोचने को मजबूर हो गये कि एक अदद सड़क दो प्रेमियों के बीच में रोड़ा बन रही है। उसने पूछा कि क्षेत्र के विधायक कौन है जरा पता करके बताओ, अश्वनी ने फोन करके विधायक के बारे में पता करके बताया। इधर अश्वनी के पिता को पता लगा कि जिस क्षेत्र की यह सड़क है और नीलकंठ का नाम सुनते ही उन्हें विधायक का पता लग गया वह भी उन्हीं की पार्टी की विधायक है। 

   अगले दिन अश्वनी अपने पिताजी के साथ संबंधित विधायक के यहाँ गये और वहां पर जाकर राजन और नेहा के प्रसंग को सुनाया। अश्वनी के पिता ने कहा कि हम मंचों पर बड़ी बड़ी बात करते हैं, आज उन बातों पर अमल करने का दिन आ चुका है अब हमको दो प्रेमियों को एक सड़क के कारण अलग नहीं होने देना है। दोनों विधायकों ने लोकनिर्माण विभाग के मंत्री से बात करके सड़क स्वीकृत करने के लिए दबाव डाला।


    एक महीना बाद महादेवसैण से जोगियाणा गाँव के लिए सड़क की पैमाइश शुरू हो गयी और गाँव से राजन के पास फोन आया कि आज सड़क का सर्वे हो गया है, सुनने में आ रहा है कि जल्दी ही सड़क का निर्माण हो जायेगा। यह सुनकर राजन की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा। यह खुशखबरी सबसे पहले नेहा को सुनायी, यह सुनते ही नेहा भी बहुत खुश हुई। इधर दशहरे के दिन नेहा और राजन की सगाई हो रही है, उधर महादेव सैण से जैसी भी मशीन लग गयी है, जैसे ही राजन नेहा को अंगूठी पहनाने जा रहा था और आसमान में जोर से बिजली कड़की और जोर से आसमान गरजा, राजन की नींद खुल गयी। यह सब वह सपने में देख रहा था। क्या राजन का सुबह का सच सपना होगा और उसके सपनों की रानी नेहा से शादी हो पायेगी, इसका जवाब शायद भविष्य के गर्भ में ही होगा।



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