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Vimla Jain

Others

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समानांतर रेल की पटरी सी जिंदगी

समानांतर रेल की पटरी सी जिंदगी

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जब जिंदगी के शुरुआत में ही रिश्तो में अविश्वास और धोखा आ जाता है तो जिंदगी बहुत ही मुश्किल हो जाती है। किसी कारणवश अगर पति पत्नी को साथ में भी चलना होता है तो दोनों कुछ इसी तरह चलते हैं जैसे कि रेल की समानांतर पटरीयां जो साथ तो चलती हैं मगर कभी एक नहीं होती। इसी तरह बिंदिया और भूषण की जिंदगी भी चल रही थी।

बिंदिया को भूषण हमेशा मेरे टूर वाली जॉब है मैं जा रहा हूं टूर पर कहकर 1 महीने में पांच 7 दिन गायब रहता था। बिंदिया उस पर बहुत भरोसा करती थी। सोचती टूर की जॉब है तो होगा ऐसे करते करते बहुत साल निकल गए। और बिंदिया इसी भ्रम में जीती रही कि उसके पति टूर वाली जॉब करते हैं इसीलिए बाहर रहते हैं।

ऐसे में एक दिन उसकी एक सहेली का फोन आया कि जीजा जी यहां है क्या? मैंने उनको देखा है।

बिंदिया बोली नहीं तुझे कोई गलतफहमी हुई है वह तो टूर पर गए हैं। बेंगलुरु वहां से मद्रास आएंगे फिर घर आएंगे।

ऐसा उन्होंने कहा है घर पर बच्चे भी उनका इंतजार कर रहे हैं क्योंकि वह उन लोगों के लिए बहुत सारी गिफ्ट लेकर आते हैं और बहुत खुश होते हैं बच्चे ।

मगर उसकी सहेली अपनी बात पर अड़ी रही तब बिंदिया ने बोला ठीक है अगर ऐसा है तेरे को लग रहा है कि यह भूषण ही है तो, अब कि जब देखे तो मेरे को फोटो खींचकर भेजना और कहां देखा है वह बताना। और वह भूषण को फोन करती है आप कहां हो कब आ रहे हो।

भूषण बोलता है अभी मेरे को 5,7 दिन और लग जाएंगे फिर आता हूं। फिर आराम से बैठेंगे बातें करेंगे बच्चों के साथ भी मजे करेंगे ।

उसके अति विश्वास में बिंदिया को अपनी सहेली की बात ही गलत लगती है । सहेली को वापस फोन करके कहती है कि भूषण बेंगलुरु में है। उसकी सहेली बोलती है तू कौन से जमाने की बातें कर रही है कौन से ख्यालात में है। मै यहा एक मॉल में आई हूं ।

अभी वह मेरे सामने ही एक लड़की के साथ में खरीदी कर रहा है ।

तू जल्दी से आजा मैं फोटो भेजती हूं उसकी सहेली फोटो और एड्रेस उसको फोन पर देती है।

उसी समय में रवाना होकर वहां पहुंचती है दूर से देखती है कि उसका पति एक लड़की के साथ है।

उसी समय अंदर जाकर के अपने पति को हाथ पकड़ कर बाहर लाती है।

तमाशा नहीं करना चाहती इसीलिए उसको बोलती है घर चलो ।

जब घर जाते हैं दोनों में बहुत बोला चाली होती है।

भूषण बेशर्म के जैसे बोलता है मैं तुम्हारे साथ रहकर पक गया हूं तुम दिन भर बच्चों के साथ रहती हूं।

उन्हीं का ध्यान रखती हो और तुम तो मुझे पहले दिन से ही पसंद नहीं हो। कैसी बहन जी जैसी रहती हो और मैं तो नैंसी के साथ ही रहूंगा ।

उसके साथ ही लिव-इन में रह रहा हूं। तुम मुझे तलाक दे दो यह सब तुम रख लो।

और मुझे आजाद कर दो मैं नैंसी से शादी कर लूंगा ।

बिंदिया बोलती अब मैं तुम्हारे साथ नहीं रहूंगी और तुमको तलाक भी नहीं दूंगी।

तुम लीव इन मेँ उसके साथ रह रहे हो उसी के साथ रहो।

घर का खर्च तुम ही को चलाना है यह घर मेरे नाम कर दो।

और बच्चों की पढ़ाई का खर्चा सब कुछ तुम ही को करना होगा अगर ऐसा नहीं करा तो मैं तुमको कोर्ट में घसीटकर अपना भरण-पोषण ले लूंगी। मगर तलाक तो फिर भी नहीं दूंगी।

भूषण बोलता है मेरी भी बच्चों की प्रति जवाबदारी है मैं घर के प्रति पूरी जवाबदारी निभाऊंगा पर मैं तुम्हारे साथ नहीं रहूंगा।

मैं यह मकान तुम्हारे नाम कर देता हूं और भी मेरी संपत्ति है जो बच्चों के नाम कर देता हूं।

थोड़ा पैसा अपने पास रख लूंगा बाकी सब तुम्हारे लिए घर खर्च के लिए हर महीने बच्चों की पढ़ाई के हिसाब से और सब देता रहूंगा ।

तुम बच्चों की पूरी पढ़ाई का ध्यान रखना।

वह बोलती है ठीक है उसी समय भूषण अपना बैग लेकर अपना सामान लेकर वहां से निकल लेता है।

बच्चे जब घर आते हैं अब इतने बड़े हो गए होते हैं कि उनको वह सब बात सकती है बच्चों को बताती है बच्चे भी मां- पापा को बहुत प्यार करते थे। मगर पापा का मां के प्रति व्यवहार देखकर उनका मन टूट जाता है ।

और वह भी उनसे दूर हो जाते हैं। समय बीता जाता है लड़का डॉक्टर बन जाता है लड़की इंजीनियर बन जाती है। दोनों विदेश में बसते हैं और अपनी जिंदगी में बहुत अच्छे जी रहे होते हैं।

इस बीच बिंदिया कभी पलट कर अपने पति के बारे में नहीं देखती है ना सोचती है ना उनका पता कर ती कि वह कहां है।

एक दिन सुबह सुबह जोर-जोर से दरवाजा खटखटाता है । बिंदिया एकदम नींद से जागती है पूछती है कौन है तो सामने भूषण को देखकर चक्कर खा जाती है । बोले आज इतने साल बाद तुम कैसे आए हो ।

बोलता है तुमने तो मेरी खबर नहीं ली मैं तुम्हारी सब खबर रखता हूं ।

मेरे को अमेरिका जाना है बच्चों से मिलना है क्या तुम मुझे उनका पता दोगी। बोलती क्यों नहीं बच्चे तो आपके भी हैं।

आप पता ले लो उनसे मिल भी लो। वह कैसा व्यवहार करते हैं वह मुझे पता नहीं उसकी मैं जिम्मेवार नहीं। वह बोलता है कम से कम चाय के लिए तो पूछ ले। चाय नाश्ता करवाती है। और जाने को बोल देती है । उससे कुछ नहीं पूछती तू कहां रहता है क्या करता है।

वह तो जैसे बिल्कुल उससे दूर ही हो गई और उसकी जिंदगी में उसके लिए कोई जगह ही नहीं थी ।

एक अनजान जैसा व्यवहार कर रही थी ।

यह देख भूषण के मन में काफी ठेस पहुंची ।

सोचता है कि मैं आज भी इसका पति तो हूं तो भी इसने मुझे कुछ नहीं कहा बैठने के लिए भी नहीं कहा घर में आने के लिए भी नहीं कहा ।

मैंने कहा तो मुझे नाश्ता करवाया सोचते सोचते चला जाता है।

अमेरिका जाकर दोनों बच्चों को और उनके परिवार को मिलकर बहुत खुश होता है ।

बच्चे भी अपने पिता को देखकर काफी खुश होते हैं और वह अपनी मम्मी को फोन करते हैं ।

उनकी मम्मी बोलती है तुमको इनसे रिश्ता रखना है तो रखो ।

मुझे नहीं रखना है।

तुम बड़े हो गए हो समझदार हो अपनी जिंदगी अपनी तरह से जियो। बच्चे भी बहुत खुश होते हैं और वे अपने पिता से वापस संबंध रखने लगते हैं ।

वहां से वह कुछ दिन रह कर वापस भारत आता है।

बच्चों ने अपनी मां के लिए कुछ भेजा होता है तो वह देने घर जाता है। सामान लेकर बिंदिया उसको रास्ता दिखा देती कि जाओ।

तब वह बोलता है तुम एक बार मेरी बात सुन लो फिर जैसा कहोगी वैसा करूंगा।

यह घर तो मेरा भी है ना जिस दिन से मैंने तुमको सारी प्रॉपर्टी दी उसी दिन में वापस नैंसी के घर गया।

उसने मुझे घर से निकाल दिया ना तुम्हारे पास पैसा नहीं है ।

मैंने तो सोचा था तो मुझे घर मेरे नाम कर दोगे नौकरी के पैसे भी घर पर दोगे थोड़े से पैसे मुझे दोगे तो मेरा घर कैसे चलेगा ।मैं तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहती।

और उसने उसको निकाल दिया और बोला मेरा तो बॉयफ्रेंड है मैं उससे शादी कर लेती हूं, या उसको बुला लूंगी।

पर अब तुम यहां से निकलो मेरी स्थिति तो ना घर का ना घाट का जैसी हो गई थी ।

घर किस मुंह से जाता इसीलिए जैसे तैसे करके किराए का मकान लेकर अपनी जिंदगी बसर कर रहा था। सोचता है इतनी कहानी सुनाने के बाद शायद उसकी पत्नी का दिल थोड़ा पसीज जाए औरउसे साथ रहने के लिए बोल दे।

मगर वैसा कुछ नहीं बोलती।

भूषण घर से बाहर निकल रहा होता है एकदम से गिर जाता है।

और उसके नाक में से खून बहने लगता है ,उसी समय बिंदिया उसको संभालती है हॉस्पिटल ले जाती है। उसका इलाज करवाती है।

उसको अपने घर रखती है मगर दोनों के संबंध तो रेल की पटरी के समानांतर जैसे ही रहते हैं। दिन में वापस कभी मिलाप नहीं हो पाता। सच में एक गलती ने दोनों की जिंदगी कैसा बना दिया एक साथ रहकर भी एक साथ चल नहीं सकते रेल की पटरी यों की जैसे।

इसीलिए कहते हैं संबंध मैं रिश्तो में हमेशा सच्चाई होनी चाहिए बेवफाई जिंदगी को नर्क बना देती है


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