शेर शेरनी की शादी
शेर शेरनी की शादी
आज सुबह सुबह मौसम ने जो करवट ली थी की बस दिल ही खुश कर दिया । इस जेठ माह की चिलचिलाती गर्मी मे बादलो ने बरस के मौसम ठंडा कर दिया। एसे मे बस गर्मा गर्म चाय के साथ गर्मा गर्म पकौडिया मिल जाये तो मजा ही आ जाये। कही घुमने भी नही जा सकते क्योकि इस बिमारी ने जिसे कोरोना कहते है । हाहाकार मचा रखा है। कभी कभी तो लगता है मौत का खेल चल रहा है। कब अपनी बारी आ जाये पता ही नही ।
अब बाहर नही जा सकते तो क्या, छत पर तो घूम ही सकते है। फिर क्या था। लिया चाय का मग और पहुच गई छत पर मौसम के मजे लेने। पर ये क्या अभी तो मौसम अच्छा था और अब बारिश,ओफ्फो,और साथ मे धूप भी। ये सही मजाक था मौसम का।तभी ख्याल आया की बारिश और धूप मतलब इन्द्रधनुष, अहा। फिर तो जो आखो मे चमक और होठो पर मुस्कान आई की पूछिये ही मत।
हाँ,ये दिल तो अब भी बच्चा ही है। सुहावने मौसम को देख के मचल जाता है। हवाओ के संग बहता चला जाता है। इन्द्रधनुष के रंगो मे खोता चला जाता है।
वैसे धूप और बारिश का साथ मे होना एक और बात याद दिलाता है। याद तो होगा ही सबको,नही याद ,मै ही याद दिला देती हूँ। आज तो शादी है। अब तो याद आ गया होगा। या अभी भी नही। अरे भई , आज तो शेर शेरनी की शादी है। तभी तो धूप मे बारिश हो रही। अब तो याद आ गया ना।मुझे याद है जब मैने पहली बार पूछा था की धूप मे बारिश क्यो हो रही ।तो जवाब मे यही सुनने मिला था कि "आज तो जंगल मे शेर शेरनी की शादी है।चलो जल्दी से तैयार हो के आओ फिर पूडी खाने चलेगे।"
और मै छोटी सी खुशी से फुले नही समाती थी। और जिद करके नये कपडे पहन के तैयार हो जाती थी।
खो गया अब वो बचपन पर यादे रह गई। शेर शेरनी की शादी की यादे। आज भी जब कोई बच्चा पूछता है मुझसे तो मै उसे यही कहती हूँ की
शेर शेरनी की शादी हो रही जंगल मे ।
आज तो हलवा पूडी खायेगे।
शेर की बारात मे जायेगे।
बहुत धूम मचायेगे।