STORYMIRROR

Anshhu Maurya

Children Stories Inspirational Children

3  

Anshhu Maurya

Children Stories Inspirational Children

सबक!!

सबक!!

4 mins
238

माँ मुझे सिर्फ डॉल हाउस और किचन सेट ही क्यों मिलते हैं ! "मुझे भी कार चाहिए " , सानविका ने कहा... !

"कोई बात नहीं बेटा " तुम्हारे लिये भी ले आँऊगी मैं, अपनी आठ साल की बेटी को समझाते हुए बोली।

और उधर दूसरी तरफ मेरा बेटा साहिल चीखते हुए बोलता हैं कि.....अरे माँ देखो कितने सुंदर और कितने अच्छे अच्छे गन और कार मुझे मिले हैं।


आज मेरे दोनों जुड़वा बच्चों का जन्मदिन हैं मेरी बेटी सानविका और बेटा साहिल दोनों आठ साल के हो गये हैं, और इनके जन्मदिन की पार्टी के बाद बच्चे अपने-अपने मिले हुए खिलौने खोल-खोल कर खुश हो रहे थे, वैसे तो इनके पास खिलौनों की कोई कमी नहीं है पर बच्चे तो बच्चे होते हैं।

तभी " तू क्या करेगी कार और गन लेके", "तू खेल ना अपनी गुड़िया से", बेटा लड़कियां गुड़िया से खेलती हैं "सानविका की दादी ने सानविका को चुप कराते हुए कहा..."

"अच्छा तू वो सब छोड़ ये देख कितना अच्छा किचन सेट हैं ना " , आजा ! आजा ! "अपने दादा जी को चाय बनाकर तो पिला "! सानविका को गोद में उठाते हुए उसके दादा जी ने कहा...!

"नहीं चाहिये मुझे कुछ भी " रोते हुए सानविका अपने रूम में चली गयी।।


वैसे तो मेरा ससुराल पढ़ा-लिखा परिवार हैं लेकिन मेरे सास-ससुर थोड़े पुराने विचार के हैं ।

अक्सर वो मेरी बड़ी बेटी स्नेहा और सानविका से छोटे-मोटे घर के काम कराते रहतें पर कभी -भी साहिल से एक ग्लास पानी भी नहीं माँगते।

इसमें उनकी भी कोई गलती नहीं थी , ये हमारे पूरे समाज की ही सोच हैं, जो ये भी निभाते आ रहे थे।

बेटा है तो उसको कार, गन, बैट-बाल पकड़ा दो और अगर बेटी हैं तो उसे किचन सेट, टी सेट, डॉल हाउस ।

उसी से खेलें, उन्हें नहलायें, पकाये खिलाये, सुलाये और बस घर घर खेलें।

"हम बचपन से ही बच्चों के दिमाग में डालते आ रहें हैं कि उनका काम क्या हैं और दूसरे का क्या है " !


क्यों ! लड़कियां जरा सी बड़ी होती हैं तो हम बेटियों से पानी तो, चाय की ट्रे देने को कहतें हैं ! घर के छोटे-मोटे काम कराने लगते हैं पर बेटों से कुछ नहीं कराते!!

लेकिन मैंने सोच लिया है कि..... मैं अपने बेटे को ऐसे नहीं पांलूगी !

उसे भी सिखाऊंगी समझाऊंगी घर के काम ।।

बेटियों का क्या हैं उनकी तो दादी ही घर के काम सिखा देंगी ।

घर के काम सीखने में कोई बुराई नहीं है ये काम तो सबको आना ही चाहिये, " बहुत जरूरी होता है ये सब सीखना " चाहे बेटा हो या बेटी" ,घर के काम और किचन के काम सीखने से हमारे बच्चे आगे चलकर आत्मनिर्भर बन पायेंगे ,अपने खुद के काम अच्छे सलीके से कर पायेंगे।।

और यही सोचकर मैंने भी एक शुरुआत कर दी, घर के छोटे-छोटे काम साहिल को देना शुरू कर दिया , जैसे गार्डन में पानी देना, दादा-दादी को चाय देना, उनके चश्मे उनके पेपर ,उनकी दवाइयां उन तक पहुंचाना ।

अपने रूम को ठीक से रखना, अपने खिलौने अपनी किताबें सही जगह पर अच्छे से सहेज कर लगाना ।

साहिल शुरू - शुरू में तो मना कर देता पर मेरे समझाने पे धीरे-धीरे करने लगा था, घर के छोटे-मोटे काम जो उसकी उम्र के हिसाब से सही थे, उसे करने की आदत अब साहिल की धीरे धीरे बनने लगी थी।


इस बीच मुझे सासु माँ के ताने भी बहुत सुनने पड़े जैसे- कि, "सारा काम तो तूने सीखा ही दिया है तो अब फ्राक भी पहना दें साहिल को" मैं सब चुपचाप सुन के नजरअंदाज कर देती उनकी बातों को।


एक दिन मेरी दोनों बेटियां स्कूल से आते वक्त बारिश से भीग के बीमार पड़ गयी, उन दोनों को बुखार आ गया।

और उधर सासु माँ के हाथों में दर्द रहता है जिस वजह से वह अपने हाथ ऊपर करके अपने बाल नहीं बना पाती हैं इसलिए अकसर उनके बाल मेरी बेटियां या फिर मैं बनाती हूं, बेटियों के बीमार होने से वो बेचारी खुद ही दर्द सह के बाल बना रही थी पर जब उनसे नहीं हो पाया तब उन्होंने मुझे आवाज दी!!!!


मेरे आने से पहले ही साहिल दौड़ते हुये उनके पास पहुंच गया और कहता है कि.... दादी अभी माँ खाना बना रही हैं तो मैं आपके बाल बना देता हूं साहिल की बातें सुनकर मेरी आंखें भर भर आती हैं कि मेरा बेटा अब इतना बड़ा हो गया कि लोगों की तकलीफ समझने लगा हैं, फिर वो बहुत अच्छे से अपनी दादी के बाल बना देता है, जिससे उसकी दादी भी खुश हो जाती हैं।


आज मैंने अपने बेटे को जिंदगी का अच्छा पाठ पढ़ा दिया था ," क्या सही है क्या गलत है " उसे सिखा पायी थी, ये देखकर मुझे बहुत खुशी हुई।।

कौन औरत का काम है ! कौन सा मर्द का काम है ! ऐसा कुछ नहीं होता , काम तो बस काम होते हैं और जो मदद करें, वो सबसे अच्छा इंसान होता हैं ।

और कल जब मेरी बहू आएगी और साहिल उसके कामों में मदद करेगा तो जरूर मेरी बहू के दिल में मेरे लिए इज्जत और प्यार निकलेगा और शायद वो भी अपने बेटे को यही शिक्षा दे पायेगी ।।

और इसी तरह समाज की भी सोच में कुछ बदलाव आ जायें शायद।।



Rate this content
Log in