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Pawanesh Thakurathi

Children Stories

3  

Pawanesh Thakurathi

Children Stories

सबक

सबक

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बल्लू बंदर अक्सर स्वीटी गिलहरी को परेशान किया करता था। कभी वह स्वीटी की पूंछ खींच देता, कभी उसे चिकोटी काट देता तो, कभी उसके हिस्से का भोजन खा लेता। एक दिन स्वीटी अखरोट के पेड़ में खेल रही थी, उसी समय बल्लू बंदर आया और उसने स्वीटी की पूंछ पकड़कर उसे पेड़ पर उल्टा लटका दिया। वह उसे चिढ़ाने भी लगा- "अब आ रहा होगा ना तुझे मजा।"

"बल्लू भैया छोड़ दो ना मुझे।" स्वीटी रोने लगी। 

खूब रूलाने के बाद उसने स्वीटी की पूंछ छोड़ दी। स्वीटी बिचारी ज़मीन पर उल्टी होकर गिर पड़ी। उसकी नाक में चोट भी लगी। निराश होकर न चाहते हुए भी उसने बल्लू की शिकायत भालू दादा से कर दी। 


 भालू दादा ने बल्लू को सबक सिखाने की सोची। एक दिन बल्लू अमरूद के पेड़ पर बैठकर चाव से अमरूद खा रहा था। उसी समय भालू दादा भी पेड़ पर चढ़ गये और अमरूद खाने लगे। ठीक उसी समय मौका देखकर उन्होंने बल्लू की पूंछ पकड़कर उसे उल्टा लटका दिया। बल्लू कराहने लगा- "उई अम्मा मर गया।"

"अभी तो कहाँ मरा है। अब मरेगा तू।" भालू दादा ने कहा। 

"भालू दादा छोड़ दो ना प्लीज। मुझे किस बात की सजा दे रहे हो ?" बल्लू ने कहा। 

"छोड़ दूँगा। चिंता मत कर। पहले ये बता कि आज से तू स्वीटी को परेशान करेगा ?" भालू दादा ने उसकी पूंछ ऊपर-नीचे की। 

"नहीं दादा नहीं। आज से कभी परेशान नहीं करूंगा।"

"सच बोल।"

"सच कह रहा हूँ दादा। आज से कभी परेशान नहीं करूंगा। छोड़ दो प्लीज।" बल्लू रोने लगा। 

"ठीक है। आज के बाद अगर तूने स्वीटी को परेशान किया तो ना इससे अच्छा मजा चखाऊंगा।" ऐसा कहकर उन्होंने बल्लू की पूंछ छोड़ दी। बल्लू बिचारा धड़ाम से नीचे गिरा और कराहता हुआ भाग गया। 


उसके बाद उसने कभी स्वीटी को परेशान नहीं किया। 



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